महाराष्ट्र के पालघर में हुए हमले के बाद अब दोषियों की पहचान कर उनपर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। यहां आपको जानकारी दे दें कि 16 अप्रैल को कांदिवली के एक आश्रम में रहने वाले 70 साल के महंत कल्पावरुकशा गिरी और 35 साल के सुशील गिरी महाराज एक अंत्योष्टि में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे। दोनों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए एक गाड़ी हायर की थी जिसे 30 साल के निलेश यलगडे चला रहे थे।
रास्ते में गढचिन्चिली गांव के पास कुछ लोगों ने इन्हें रोका और फिर भीड़ ने इन तीनों की पिटाई शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि भीड़ को यह शक हो गया था कि यह तीनों बच्चा चोर गिरोह के सदस्य हैं और गांव में नापाक इरादे से घुसे हैं जिसके बाद इनकी पिटाई शुरू हुई थी। मारपीट के दौरान वहां पुलिस इन तीनों लोगों को बचाने जरुर आई थी।
लेकिन भीड़ ने पुलिस वालों को भी बख्शा और उनपर भी हमला कर दिया। भीड़ ने इन तीनों को पुलिस के कब्जे से खींचकर कर बाहर निकाला और फिर उन्हें मौत के घाट उतार दिया।इस घटना के बाद स्थानीय कासा पुलिस थाने में केस दर्ज कराया गया। इस मामले में राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश दे दिये हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जानकारी दी कि ‘इस मामले में 2 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। घटना की जांच के लिए एडीजी (सीआईडी) अतुलचंद्र कुलकर्णी को नियुक्त किया गया है। मामले में 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें 5 प्रमुख आरोपी भी शामिल हैं। इस पूरी घटना एक सांप्रदायिक घटना नहीं है..मैंने इसके बारे में अमित शाह से भी बातचीत की है।’
राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए 19 अप्रैल को कहा था कि ‘इस मामले में पुलिस ने 2 साधू और 1 ड्राइवर पर हमला करने वाले सभी आरोपियों को पकड़ लिया है। इस शर्मनाक और भयानक कांड के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और न्याय होगा।’
जिले के कलेक्टर कैलाश शिंदे ने कहा कि ‘घटना के वक्त पुलिस मौके पर पहुंची थी और उन्होंने उन तीनों लोगों को पुलिस की कार में बैठा लिया था। जिसके बाद भीड़ ने उनपर दोबारा हमला कर दिया। पुलिसकर्मी भी इस हमले में घायल हो गए। हालांकि इसके बावजूद पुलिसकर्मी इन तीनों लोगों को अस्पताल तक लाने में कामयाब हुए लेकिन उनकी मौत हो गई।
हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। 110 लोगों को हिरासत में लिया गया है। मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। कोई गांव में अपने बच्चे की किडनी चुराने नहीं आ रहा है।’
वहीं इस पूरे मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘पालघर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना स्तब्ध करने वाली और अमानवीय है। यह और भी ज्यादा परेशान करने वाला इसलिए है क्योंकि इस समय हम नाजुक घड़ी से गुजर रहे हैं। मैं राज्य सरकार से अपील करता हूं कि वो इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराए और सुनिश्चित करे कि जो भी इस घटना में शामिल थें उनपर कानून के मुताबिक कार्रवाई हो।’
