Constable Saurabh Sharma IT Raid News: मध्य प्रदेश के भोपाल में लोकायुक्त और आयकर विभाग की कार्रवाई जारी है। शनिवार को टीम ने कार्रवाई करते हुए पूर्व ट्रांस्पोर्ट कांस्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी में इतना सारा धन बरामद हुआ कि टीम की आंखें फटी रह गईं।
विभागीय जानकारी के अनुसार पूर्व ट्रांस्पोर्ट कांस्टेबल के घर से लगभग 3 करोड़ कैश, 2 क्विंटल चांदी की सिल्ली जिसकी कीमत 2 करोड़ है, 10 किलो चांदी के जेवर और 50 लाख का सोना बरामद किया गया है। गौरतलब है कि साल 2016 में नौकरी की शुरुआत करने वाले सौरभ ने सात साल बाद ही वॉलेंट्री रिटायरमेंट (VRS) ले ली थी।
सौरभ ने इतनी संपत्ति कैसे बना ली?
नौकरी छोड़ने के बाद वे रियल स्टेट के धंधे में घुस गए। हालांकि, अब सवाल ये उठता है कि आखिर सात साल की नौकरी में एक मामूली से पद पर तैनात सौरभ ने इतनी संपत्ति कैसे बना ली।
इस सवाल का जवाब ये है कि सौरभ भले ही मामूली से पद पर तैनात हो पर उनकी पहुंच मंत्रियों-अधिकारियों तक थी। वो सबके चहेते थे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सौरभ को राज्य के आधे परिवहन चेक पोस्ट की जिम्मेदारी दे दी गई थी।
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अधिकारियों के अनुसार इन चेक पोस्ट में आने वाले कैश को वो खुद ही संभालता था। साथ ही चेकपोस्ट पर तैनात अन्य कर्मियों का ‘हिस्सा’ भी वो खुद ही तय करता था। उसके काम में किसी अधिकारी का दखल नहीं था। जानकारी अनुसार सौरभ को अनुकंपा पर नौकरी मिली थी। साल 2016 में उनके पिता का निधन हो गया था। वो स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे।
चूंकि सौरभ के हाई लेवल कॉन्टैक्ट थे, इस कारण उन्हें स्वास्थ्य विभाग के बजाय परिवहन विभाग में तुरंत ही बहाल कर दिया गया। आमतौर पर अनुकंपा पर नौकरी मिलने में वक्त लगता है। 2016 में नियुक्ति के बाद उनकी पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। हालांकि, जल्द ही उन्हें चेक पोस्ट पर नियुक्त कर दिया गया। ऐसे में उन्होंने अपना साम्राज्य कामय करना शुरू किया।
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हालांकि, साल 2020 में कमलनाथ की सरकार गिरने और शिवराज की सरकार आने के बाद व्यवस्था में फेरबदल हुआ। इस मौके का फायदा उठाते हुए सौरभ ने अपने पैर और मजबूत कर लिए। उन्हें मालवा निमाड़ के चेक पोस्ट का काम सौंप दिया गया। अधिकारियों के अनुसार इस फैसले से वे सभी काफी नाराज थे।
केंद्रीय मंत्री की शिकायत के बाद हुई कार्रवाई
अधिकारियों के अनुसार 1 जुलाई 2024 से पहले (इस तारीख को चेक पोस्ट बंद करने का फैसला लिया गया था) राज्य में कुल 47 परिवहन चेक पोस्ट थे, जिनमें से 23 को सौरभ ही संभालता था। यहां उसने अधिकारियों को दरकिनार कर अपने अनुसार व्यवस्था बनाई। अधिकारियों ने बताया कि चेकपोस्ट की रकम कहां जाएगी ये भी वो खुद ही तय करता था।
अधिकारियों ने बताया कि मनमानी के चरमसीमा पार होने के बाद चेकपोस्ट पर मनमाना वसूली की शिकायतें हुईं। 16 जुलाई 2022 को खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विभाग के तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की। ऐसे में सौरभ के खिलाफ जांच शुरु हुई। हालांकि, जांच के बीच ही 2023 में उसका इस्तीफा स्वीकार हो गया। जबकि ये नियम के खिलाफ है। नियम है कि जिस कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ जांच चल रही हो उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं होता है। इस्तीफे के बाद उसने तीन महीने का नोटिस पीरियड भी सर्व नहीं किया।
सौरभ मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले
गौरतलब है कि सौरभ मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं। चार साल पहले ही वो परिवार सहित भोपाल शिफ्ट हुए थे। उनकी पत्नी भी काफी रसूखदार हैं। वे कई कल्ब की मेंबर हैं। उनका जन्मदिन दुबई या दिल्ली में मनाया जाता है। टीम ने जब सौरभ के ठिकानों पर छापेमारी की तब भी वे दुबई में ही थे। उन्हें 21 दिसंबर को वापस आना था।
फिलहाल आयकर विभाग घर से बरामद की गई संपत्ति की जांच कर रही है। पूरे मामले में लोकायुक्त डीजी जयदीप यादव का कहना है कि संपत्ति जब्त करने का काम आयकर विभाग ने किया है, ऐसे में विस्तृत जानकारी वे ही दे पाएंगे कि ये किसका है। हालांकि, इस संपत्ति के तार हाल ही में जंगल में पड़ी एसयूवी कार से मिली संपत्ति से जुड़ रहे हैं।