मुख्तार अंसारी की पहचान पूर्वांचल के सबसे डॉन के तौर पर है। फिलहाल जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर कई संगीन मामले दर्ज हैं। लेकिन आज हम बात मुख्तार अंसारी की नहीं बल्कि मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर कहे जाने वाले अंशु दीक्षित की कर रहे हैं। इसी साल मई के महीने में चित्रकूट के जेल में मेराज और मुकीम काला नाम के 2 कैदियों की गोली मारकर हुई हत्या के बाद से अंशु दीक्षित का नाम काफी चर्चा में रहा था। इस हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप गैंगस्टर अंशु दीक्षित पर ही लगा था। हालांकि पुलिसिया कार्रवाई में अंशु दीक्षित की भी मौत हो गई थी।

भले ही अंशु दीक्षित की मौत एक अपराधी के तौर पर हुई थी लेकिन अपराध की दुनिया में आने से पहले अंशु दीक्षित की पहचान कुछ और थी। अंशु दीक्षित कभी लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र था। छात्र राजनीति से ही उसने अपराध जगत में कदम रखा था। कहा जाता है कि एक वक्त था जब अंशु दीक्षित विश्वविद्यालय के तत्कालीन महामंत्री विनोद त्रिपाठी के साथ रहता था लेकिन बाद में विनोद त्रिपाठी की हत्या हो गई और इस हत्याकांड में अंशु दीक्षित का नाम उछला था।

बताया जाता है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी में ही सीतापुर के रहने वाले अंशु दीक्षित की दोस्ती विक्रांत मिश्रा, कुख्यात सुधाकर पांडेय और अन्य अपराधियों से हुई। धीरे-धीरे अंशु दीक्षित अपराध की दुनिया में बड़ा नाम करने लगा। लखनऊ सीएमओ विनोद कुमार आर्या हत्याकांड में अंशु का नाम सामने आया। गोरखपुर के रहने वाले संतोष सिंह के जरिए उसकी पहचान रेलवे के ठेकेदारों से भी हो गई।

अपराध की दुनिया में पांव जमाते हुए अंशु दीक्षित धीरे-धीरे पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया मुख्तार अंसारी का खास शार्प शूटर बन गया। बताया जाता है कि साल 2013 में एमपी और यूपी एसटीएफ पर गोली चलाने में भी उसका हाथ था। एसआई संदीप मिश्रा पर गोली चलाने के बाद वो गोरखपुर भी आया था। 24 मई 2014 को देवरिया के राघोनगर में रत्नेश मिश्रा के घर हुई फायरिंग में अंशु दीक्षित का नाम आया था।

27 नवम्बर 2018 को रायबरेली जिला जेल के अंदर रिवाल्वर-कारतूस के बीच कथित तौर से शराब पी रहे शार्प शूटर अंशु दीक्षित का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में शार्प शूटर अंशु दीक्षित अपनी और अपने दो अन्य साथियों शोहराब खान और डीएस सिंह की हत्या की आशंका जता रहा था।

कहा जाता है कि मेराज अली पूर्वांचल का शातिर बदमाश था और अपराध की दुनिया में कदम रखते ही उसने मुन्ना बजरंगी के लिए काम किया था। इसके बाद मुन्ना बजरंगी का गैंग छोड़कर वह मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ गया था। उसके गैंग में आ जाने के बाद अंशु दीक्षित से पटरी नहीं खाती थी। इसके बाद धीरे-धीरे अंशु दीक्षित, मुख्तार अंसारी गैंग से दूर होता चला गया।