उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले एक सिपाही को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार सिपाही का नाम पवन कुमार है। सिपाही पवन कुमार को उसके तीन साथियों के साथ कैंट पुलिस ने सोमवार (28 अक्टूबर) को गिरफ्तार किया। आरोपी पवन कुमार क्रेटा कार से वसूली करने के लिए निकला था। कैंट सीओ संतोष कुमार ने उसे रंगेहाथो पकड़ा तो उसके गाड़ी से लगभग तीन लाख रुपये किमत के 244 पुड़िया स्मैक बरामद किए और 1.58 लाख रुपये कैश बरामद किए है। एसएसपी ने आरोपी सिपाही को निलंबित कर दिया है।
पुलिस वाला बिक्री करता था नशीले पदार्थ: गांजे और स्मैक के व्यापार में पिछले दिनों पूड़ी दुकानदार दीपू वर्मा की हत्या हो गई थी। इस हत्या के जांच के दौरान पुलिस को इस धंधे के बारे में जानकारी हुई। इसके बाद से ही पुलिस धंधे के सरगना की तलाश कर रही थी। एसएसपी के निर्देश पर सीओ संतोष कुमार इस केस की छानबीन कर रहे थे। सीओ को जांच के दौरान पता चला की इस धंधे का सरगना कोई और नहीं बल्कि एक पुलिस वाला है। जो अपने एंजेट के द्वारा पूरे शहर में स्मैक, गांजा और चरस सप्लाई करता है। उसके एजेंट कमिशन के लिए अलग- अलग इलाके में दिन भर बिक्री करते है। हर रोज शाम को पवन उनसे वसूली करने के लिए कार से आता है।
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सिपाह समेत उसके तीन साथी गिरफ्तार: नशीले पदार्थों के बिक्री के कई स्थायी ठिकाने भी थे जहां पवन अपनी कार से गांजा, चरस पहुंचाता था। उसी ठिकाने से अपने एजेंटो से रुपया वसूली करता था। इन ठिकानों की जानकारी होने के बाद सीओ संतोष कुमार अपनी टीम के साथ सोमवार को वहां घात लगाए हुए थे। जब सिपाही पवन कुमार वहां पहुंचा तो सीओ की टीम ने उसे दबोच लिया। पुलिस ने सिपाही पवन कुमार, सिपाही का राइटहैंड राकेश यादव उर्फ बटले, सिद्धार्थनगर निवासी सोनू और खिरी निवासी दिलीप को पकड़ा है। तलाशी के दौरान पवन की गाड़ी से 6 मोबाइल फोन, 244 पुड़िया स्मैक, 1.58 लाख रुपये बरामद हुए हैं। सीओ ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने सिपाही पवन कुमार निलंबित कर सभी को जेल भेज दिया है।
1992 से तैनात था लखनऊ में: बता दें पवन कुमार की छानबीन हुई तो पता चला कि मूलरुप से पवन गाजीपुर निवासी है। 1991 में बतौर सिपाही भर्ती हुआ था। ट्रेनिंग के बाद 1992 में लखनऊ में उसकी पहली तैनाती हुई थी। कुछ साल बाद उसने आशियान के रूचि खंड में मकान बनवाया और जुगाड़ के दम पर यहीं जमा रहा। पवन कुमार जुगाड़ के दम पर हमेशा अपनी पोस्टिंग लखनऊ में करवाता रहा है। उसने अपना अड्डा चारबाग में बना रखा था। यहां के रिक्शे वाले एजेंट के रुप में उसके लिए काम करते थे। इसी वजह से वह यहां के आसपास के थानों में ही तैनाती लेता था। दो साल पहले उसकी तैनाती पुलिस लाइन में की गई थी। तभी से वह ड्यूटी मुंशी से तालमेल करके अपनी ड्यूटी नहीं लगने देता था।