मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कई ऐसे अपराधी थे जो छोटे शहरों से यहां पहुंचे थे, लेकिन उनके अपराधों ने देश की सीमाएं तोड़ दी थी। उन्हीं अपराधियों में एक नाम था बबलू श्रीवास्तव। बबलू ऐसा अपराधी था जिसने कॉलेज से सीधा जुर्म की दुनिया में दस्तक दी थी।
जुर्म की दुनिया में किडनैपिंग किंग के नाम से मशहूर बबलू का असली नाम ओमप्रकाश श्रीवास्तव था। यूपी के गाजीपुर का रहने वाला ओमप्रकाश, 80 के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने आया था। ओमप्रकाश के पिता शिक्षक थे तो वहीं उसके बड़े भाई सेना में थे। लेकिन कॉलेज में छात्र संघ के चुनाव में चाकूबाजी की घटना होती है और बबलू को मामले में आरोपी बनाकर लखनऊ के दबंग शख्स अरुण शंकर शुक्ला ‘अन्ना’ द्वारा जेल भिजवा दिया जाता है। इसी घटना ने बबलू को बदल दिया।
पहला मुकदमा दर्ज होने और जेल से जमानत पर बाहर आने के थोड़े दिनों बाद ही फिर से दबंग अन्ना ने उसे वाहन चोरी के केस में अंदर करवा दिया। अब बबलू तंग आ चुका था। इसी बीच उसने अन्ना के धुर विरोधी रहे रामगोपाल मिश्रा की गैंग ज्वाइन कर ली। इसके बाद उसकी पकड़ राज्य के बाहर के अपराधियों से भी हो गई। ऐसे में बबलू ने अपहरण को अपना मुख्य धंधा बनाया। थोड़े ही दिनों में उस पर फिरौती और अपहरण के कई मुकदमे दर्ज थे। छोटे-छोटे गैंग भी अब उससे जुड़ गए थे।
साल 1984 आते-आते यूपी, महाराष्ट्र, बिहार सहित कई राज्यों में उसके खिलाफ अपहरण, फिरौती, वसूली और हत्या के मामले दर्ज थे। पुलिस भी अब उसके अपराधों और उनको अंजाम देने के तरीकों से हैरान थी और अब बबलू को लोग ‘किडनैपिंग किंग’ के नाम से जानने लगे थे। 1989 में वह नेपाल गया और वहां से दो साल बाद 1992 में दुबई पहुंच गया। दुबई में नेपाल के डॉन दिलशाद बेग ने उसकी मुलाकात दाउद इब्राहिम से कराई। दाउद के साथ कुछ दिन काम किया लेकिन मुंबई धमाकों के बाद वह दाउद से अलग हो गया।
कुछ सालों तक शांत रहने के बाद बबलू का नाम तब सामने आया जब पुणे में एडिशनल कमिश्नर एलडी अरोड़ा की हत्या कर दी गई। इस किलिंग में बबलू और उसके साथी सैनी व मंगे पर आरोप था कि उन्होंने ने ही इस मर्डर को अंजाम दिया है। इस मामले में अदालत ने बबलू और उसके साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साल 1995 में बबलू को जब से मॉरीशस में पकड़ा गया, तब से ही उसे कड़ी सुरक्षा के बीच बरेली की सेंट्रल जेल में बंद किया गया है।
बबलू श्रीवास्तव पर 60 से ज्यादा केस दर्ज थे, जिनमें से कई केसों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। बबलू ने जेल में रहते हुए ‘अधूरा ख्वाब’ नाम की किताब भी लिखी थी। हालांकि बबलू सेन्ट्रल जेल में बंद है और कई सारी बीमारियों से ग्रसित है। ऐसे में समय-समय पर उसे मेडिकल के लिए जेल से बाहर लाया जाता है।