देश में आम लोगों पर बढ़ रहे कुत्तों के हमलों के बीच केरल हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि यह राज्य का दायित्व है कि वह हिंसक कुत्तों के हमलों से नागरिकों की रक्षा करे। हालांकि, कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ यह बात भी जोड़ी कि कुत्तों के हमले बढ़ जरूर रहे हैं लेकिन लोग उनको नुकसान पहुंचाने के लिए कानून को हाथ में नहीं ले सकते।
पीठ ने विशेष बैठक में की टिप्पणी
न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति गोपीनाथ पीजे की पीठ ने राज्य भर में कुत्तों के हमले की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई विशेष बैठक में कहा कि यह राज्य का दायित्व है कि वह क्रूर/हिंसक कुत्तों के हमलों से नागरिकों की रक्षा करे।
राज्य नागरिकों के लिए माता-पिता समान
इस विशेष बैठक में पीठ ने कहा कि राज्य खुद के बारे में एक बात का ध्यान रखें कि वह प्रदेशवासियों के माता-पिता के सामान हैं। ऐसे में उसका यह कर्त्तव्य है कि वह ऐसे कुत्तों की पहचान करें और उन्हें सार्वजनिक स्थानों से हटाने का प्रयास करें। क्योंकि कल्याणकारी राज्य के रूप में आप इसके लिए बाध्य हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता अशोक एम चेरियन ने इस मुद्दे से निपटने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में बताया कि प्रशासन ने पहले ही कुछ निर्णय ले लिए हैं और उठाए गए कदमों की एक पूरी रिपोर्ट 16 सितंबर की तारीख से पहले अदालत के सामने पेश आकर दी जाएगी।
कोर्ट ने राज्य से मांगी रिपोर्ट
इसी तरह के एक मामले में कोर्ट ने पहले भी कुत्तों के पुनर्वास, आश्रय और इनकी जनसंख्या रोकने के लिए पशु जन्म नियंत्रण प्रक्रिया के तहत काम करने के लिए निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अदालत के पहले के आदेश के अनुसार उठाए गए कदमों को इस रिपोर्ट में शामिल करे और अभी जिस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं उनके बारे में भी बताए।
कुत्तों को नुकसान पहुंचाकर हाथ में न लें कानून
जब आज विशेष बैठक में इस मामले को उठाया गया तो एमिकस क्यूरी द्वारा इन कुत्तों की अनधिकृत हत्या के कई मामलों को भी अदालत के संज्ञान में लाया गया। ऐसे में कोर्ट ने प्रदेश सरकार को राज्य के पुलिस मुखिया के माध्यम से यह स्पष्ट करते हुए सार्वजनिक निर्देश जारी करने का आदेश दिया है कि नागरिकों को कुत्तों को अनावश्यक नुकसान पहुंचाकर कानून अपने हाथ में लेने से बचना चाहिए, क्योंकि प्रदेश का प्रशासन इस मामले को नियंत्रण लाने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। हालांकि, अब इस मामले में सुनवाई 16 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।
क्या कहते हैं केरल के आंकड़े
केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते आठ महीनों में 95 हजार से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा और पिछले साल की तुलना में इस साल अगस्त तक 14 लोगों की मौत हुई। बीते साल यह आंकड़ा 11 का था। वहीं, यदि पिछले पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 10 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा है।