कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) की धारवाड़ बेंच ने हाल ही में अपनी पत्नी, उसकी बहन और अपने तीन बच्चों की हत्या के दोषी शख्स की मौत की सजा को बरकरार रखा। दोषी ने सेशन कोर्ट द्वारा पूर्व में दी गई मौत की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट का यह आदेश रविवार देर रात सार्वजनिक किया गया। जस्टिस सूरज गोविंदराज और डी बसवराज की बेंच ने 30 मई को एक साथ 5 कत्ल के मामले में सुनवाई के बाद यह आदेश दिया था।

हाई कोर्ट ने फैसले में अपील करने वाले को बताया ‘भ्रष्ट’

हाई कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में कहा, “अपनी पत्नी, उसकी बहन और तीन बच्चों की हत्या का संगीन अपराध ( जिनमें से सभी बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के थे) भी अपील करने वाले के भ्रष्ट होने की ओर इशारा करेगा। अपील करने वाले के घर में चापड़ (हत्या में इस्तेमाल हथियार) से शारीरिक हमला करके पांच हत्याएं की गई हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उस गंभीरता और दुर्भावना को दर्शाती है जिसके साथ मृतकों पर हमला किया गया था। हमारा सुविचारित मत है कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे साबित कर दिया है कि अपील करने वाला सभी पांच मृतकों की मौत का कारण बना है।”

एक साथ पांच लोगों की हत्या की सनसनीखेज वारदात

एक साथ पांच लोगों की हत्या की यह सनसनीखेज वारदात फरवरी 2017 में कर्नाटक के बल्लारी में हुई थी। उस शख्स ने कथित तौर पर अपनी पत्नी की वफादारी और अपने चार बच्चों में से तीन के पितृत्व पर संदेह करते हुए उससे झगड़ा करना शुरू कर दिया था। इसके बाद उसने कथित तौर पर अपनी पत्नी, उसकी बहन और बच्चों की चापड़ से काटकर हत्या कर दी।

सेशन कोर्ट ने माना था रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सेशन कोर्ट में अपराध को ठीक से देखा नहीं गया था और मामला संदेह से परे साबित नहीं हुआ था और इसमें कई खामियां थीं। अभियोजन पक्ष ने कहा कि कोई और अपराध करने की स्थिति में नहीं था। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि कई गवाहों ने उसे कबूल करते हुए सुना था। पहले कोर्ट ने अपने फैसले में तर्क दिया था कि यह मौत की सजा के लिए एक उपयुक्त मामला था। क्योंकि यह दुर्लभतम घटना थी, जिसमें पांच लोग मारे गए थे।

हाई कोर्ट की बेंच ने और क्या कहा

धारवाड़ बेंच ने कहा कि कत्ल के बाद दोषी ने खून से सने कपड़ों में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। उसके और उसकी पत्नी के बीच के विवाद स्थानीय लोगों को पता थे। उसने अपनी एक बेटी को विदा किया जिसके पितृत्व पर उसे कोई संदेह नहीं था। बेंच ने कहा, ” सजा को कुछ कम करने वाले कारकों या अन्य को खोजने के हमारे प्रयासों के बावजूद, हम ऐसा करने में असमर्थ हैं … वर्तमान तरीके से अपील करने वाले के पक्ष में कोई परिस्थिति नहीं हैं। अपराध की क्रूरता जिसके चलते 10 साल से कम उम्र के 3 बच्चों सहित पांच की मौत हो गई और जिस क्रूरता के साथ यह किया गया है, हमारे पास ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित मौत की सजा के आदेश की पुष्टि करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, जो हम भारी मन से करते हैं।”

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हाई कोर्ट ने सरकारी वकील से इन मुद्दों पर मांगा रिपोर्ट कार्ड

बेंच ने आगे आदेश दिया कि ऐसे मामलों में जहां एक सरकारी वकील ने मौत की सजा की मांग की है, उसे जेल में दोषी के आचरण और व्यवहार, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक मूल्यांकन, पारिवारिक पृष्ठभूमि, हिंसा का इतिहास, सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि और क्या अन्य कारकों के साथ-साथ दोषी को सुधारा जा सकता है जैसे विवरणों के साथ एक रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखनी होगी।