दुनिया के नक्शे में एक देश है इटली..कभी यहां बेनिटो मुसोलिनी नाम एक क्रूर तानाशाह था। इस तानाशाह की कभी लोगों ने भगवान की तरह पूजा की, लेकिन जब समय बदला तो उन्हीं देशवासियों ने उसके शव को चौराहे पर लटका दिया। राष्ट्रीय फासिस्ट पार्टी का नेतृत्व करने वाला मुसोलिनी इटली का नेता था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मुसोलिनी ने एक्सिस समूह में मिलकर युद्ध में भाग लिया था।

इटली के प्रिदाप्यो गांव में 29 जुलाई 1883 में जन्मे बेनिटो मुसोलिनी के पिता पेशे से लोहार थे और मां शिक्षिका थी। स्कूली शिक्षा के दौरान सहपाठियों से हिंसक झड़प के बाद उसे स्कूल से निकाल दिया गया। हालांकि, फिर उसने अपनी बाकी शिक्षा जैसे-तैसे दूसरे स्कूल से पूरी की। इसके बाद 19 साल की उम्र में खुद अध्यापक बन गया, लेकिन कुछ दिनों बाद वह भागकर स्विट्जरलैंड चला गया। फिर कुछ साल बाद लौटकर आया तो सेना में रहा और पत्रकारिता भी की।

साल 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मुसोलिनी का मानना था कि इटली को ब्रिटेन और फ़्रांस की तरफ से युद्ध में शामिल होना चाहिए। विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद बाद 1919 में इटली में प्रखर राष्ट्रवाद का दौर था। तभी मुसोलिनी ने एक राजनीतिक संगठन की स्थापना की। साल 1922 में 27-28 अक्टूबर की दरमियानी रात को मुसोलिनी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने रोम पर चढ़ाई कर दी। उनकी मांग थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इस्तीफा दें।

देश की सेना ने भी मुसोलिनी के आगे हाथ खींच लिए और फिर प्रधानमंत्री को सत्ता छोड़नी पड़ी। साल 1922 से लेकर 1943 तक लगातार 21 वर्षों तक मुसोलिनी ने इटली पर राज किया। भले ही 1943 तक मुसोलिनी का राज था, लेकिन उसके सितारे गर्दिश में जाने तब शुरु हुए; जब उसने साल 1935 में अबीसीनिया पर हमला किया। माना जाता है कि इसी हमले के बाद से द्वितीय महायुद्ध की नींव पड़ गई थी।

कई हार के बाद जुलाई, 1943 आते-आते मुसोलिनी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर उसे हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उसे छुड़ाया जरूर था; लेकिन तब तक हालात मुसोलिनी के प्रतिकूल हो चुके थे। 26 अप्रैल 1945 मुसोलिनी स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश में पकड़ लिया गया। फिर 28 अप्रैल, 1945 को मुसोलिनी, उसकी प्रेमिका क्लारेटा पेटाची व उसके 16 साथियों को गोली मार दी गई थी।

29 अप्रैल, 1945 की सुबह एक ट्रक से मुसोलिनी, उनकी प्रेमिका और 16 अन्य लोगों के शव मिलान के चौक पर फेंक दिए गए. इसी चौक में लोगों ने मुसोलिनी और अन्य लोगों के शवों पर पथराव किया, लात-घूंसे बरसाए और तरह-तरह से तौहीनी की। फिर थोड़ी देर बाद उनके शवों को उल्टा लटका दिया गया। बता दें कि, मुसोलिनी की मौत के दो दिन बाद 30 अप्रैल, 1945 को जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने भी खुदकुशी कर ली थी।