गुजरात में साल 2004 के इशरत जहां एनकाउंटर मामले में जांच का सामना करने वाले आईपीएस अधिकारी गिरीश लक्ष्मण सिंघल ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) की घोषणा की है। इसके पीछे उन्होंने “व्यक्तिगत और सामाजिक कारणों” का हवाला दिया। 2001 बैच के 58 वर्षीय आईपीएस अधिकारी ने सेवानिवृत्ति (जो सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करता है) से दो साल पहले इस बड़े निर्णय की घोषणा की। 4 अगस्त को सेवा में उनका आखिरी दिन होगा।
2006 में आईपीएस के रूप में हुए प्रमोट, अप्रैल 2021 में दोषमुक्त
2016 से गांधीनगर के कराई में कमांडो ट्रेनिंग सेंटर में आईजीपी के रूप में तैनात रहे गुजरात कैडर के अधिकारी सिंघल 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई द्वारा जांच का सामना करने वाले पुलिस अधिकारियों में से थे। उन्हें साल 2006 में आईपीएस के रूप में प्रमोट किया गया था। अप्रैल 2021 में उन्हें दो अन्य पुलिसकर्मियों के साथ एक विशेष सीबीआई अदालत ने इस आधार पर बरी कर दिया कि पुलिस कार्रवाई ड्यूटी के दौरान की गई थी।
रिटायरमेंट को लेकर आईपीएस अधिकारी गिरीश लक्ष्मण सिंघल ने क्या कहा
आईपीएस अधिकारी गिरीश लक्ष्मण सिंघल ने शनिवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मेरे कुछ व्यक्तिगत और सामाजिक मुद्दे हैं, खासकर तीन महीने पहले मेरे ससुर के निधन के बाद मेरे सामने कई जिम्मेदारियां भी हैं। रिटायरमेंट के बाद इस दिशा में काम करने के लिए समय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता निश्चित करनी पड़ती है।”
क्या है इशरत जहां एनकाउंटर का पूरा मामला ?
मुंबई के नजदीक मुंब्रा की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में इशरत जहां के अलावा जावेद शेख उर्फ प्रग्णेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे। गुजरात पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों आतंकवादी थे। सभी आतंकी मिलकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रच रहे थे। मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों की मांग के बाद हाई कोर्ट की गठित विशेष जांच टीम (SIT) ने कहा कि मुठभेड़ फर्जी थी। इसके बाद सीबीआई ने कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।