Srushti Fertility Centre News: सिकंदराबाद के एक फर्टिलिटी क्लिनिक से जुड़ा मामला उन सभी दंपत्तियों के लिए शॉक है, जो बच्चे के लिए सरोगेसी का विकल्प अपनाने का सोच रहे हैं। एक चौंकाने वाले मामले में यह बात सामने आई है कि सिकंदराबाद स्थित यह क्लिनिक बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला कर रहा था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस को पता चला है कि एक दंपत्ति जो निःसंतान थी उन्हें क्लिनिक ने आइडेंटिकल बच्चे के बदले किसी और बच्चा दे दिया।
सरोगेसी का विकल्प चुनने का सुझाव दिया
मामले में और ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चा कथित तौर पर एक गरीब परिवार से खरीदा गया था। पुलिस ने कहा कि क्लिनिक ने दंपत्ति को सरोगेसी का विकल्प चुनने का सुझाव दिया और उन्हें आश्वासन दिया कि बच्चा बॉयोलॉजिकली उनका होगा। इस प्रक्रिया के लिए उनसे 35 लाख रुपये लिए गए। दंपत्ति ने 2024 में आईवीएफ उपचार की मांग की थी।
रविवार को, हैदराबाद पुलिस ने मुख्य आरोपी यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की डॉ. अथलुरी नम्रता (64), सरकारी गांधी अस्पताल की एनेस्थेटिस्ट डॉ. नरगुला सदानंदम (41), एजेंटों और तकनीशियनों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
बच्चा बेचने का रैकेट चलाने का आरोप
रिपोर्ट के अनुसार उन पर सरोगेसी प्रोसेस के नाम पर ग्राहकों को धोखा देने और बच्चा बेचने का रैकेट चलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को यह भी पता चला कि सृष्टि का लाइसेंस 2021 में कैंसल कर दिया गया था। डॉ. नम्रता इसे अवैध रूप से चला रही थीं। वह कोंडापुर (हैदराबाद), विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम में क्लिनिक के तीन और सेंटर चला रही हैं।
इन सभी पर भी रविवार को छापे मारे गए। उत्तरी क्षेत्र की पुलिस उपायुक्त एस रश्मि पेरुमल ने कहा, “ताज़ा मामला तो बस एक छोटा सा हिस्सा है; ऐसे कई मामले हो सकते हैं। हम इस बात का पता लगाने के लिए IVF सेंटर की विभिन्न शाखाओं में सरोगेसी और आईवीएफ उपचार लेने वाले अन्य दंपतियों की भी जांच कर रहे हैं।”
रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले, डॉ. नम्रता दो बार – 2016 और 2020 में – जांच के घेरे में आई थीं। पहले मामले में, तेलंगाना मेडिकल काउंसिल ने उनका लाइसेंस पांच साल के लिए सस्पेंड कर दिया था, जब अमेरिका के एक एनआरआई दंपति ने आरोप लगाया था कि कथित तौर पर सरोगेसी के माध्यम से उन्हें दिया गया नवजात शिशु उनका बॉयोलॉजिकल बेबी नहीं था।
फिर 2020 में विशाखापत्तनम पुलिस ने डॉ. नम्रता और पांच अन्य को नवजात शिशुओं की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी डॉक्टर और उसके क्लिनिक के खिलाफ पहले भी तीन जगहों – विशाखापत्तनम, हैदराबाद और गुंटूर – में 10 से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
35 लाख रुपये का भुगतान किया
ताज़ा मामला 26 जुलाई को तब सामने आया जब शहर के एक दंपत्ति ने गोपालपुरम पुलिस से शिकायत की कि व्यावसायिक सरोगेसी के बाद उन्हें सृष्टि टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के नाम से मशहूर क्लिनिक द्वारा दिया गया बच्चा, उसके पिता से बॉयोलोजिकली संबंधित नहीं था।
रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए स्वतंत्र रूप से डीएनए टेस्ट करवाया था। दंपत्ति ने कथित तौर पर इस प्रक्रिया के लिए 35 लाख रुपये का भुगतान किया था।
डीसीपी ने कहा, “मुख्य आरोपी से पूछताछ के बाद, हमने पाया है कि यह सरोगेसी का मामला नहीं है। डॉ. नम्रता और उनके कर्मचारी पैसे का लालच देकर गरीब गर्भवती महिलाओं से खरीदे गए शिशुओं को निःसंतान दंपत्तियों को बेच रहे थे।” उन्होंने आगे कहा: “बच्चे के बॉयोलॉजिकल माता-पिता, जिन्हें भी गिरफ्तार किया गया है, असम के हैं और हैदराबाद में रह रहे थे। उन्हें 90,000 रुपये दिए गए और मां को प्रसव के लिए विशाखापत्तनम भेज दिया गया।”
बच्चा दो दिन का था जब उसे शिकायतकर्ता दंपत्ति को यह बताकर सौंपा गया कि यह उनका बॉयोलॉजिकल बेटा है। गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में डॉ. नम्रता के बेटे पी. जयंत कृष्णा (25), जो एक वकील हैं और अपनी मां के पैसों का प्रबंधन करते थे, क्लिनिक की दो कर्मचारी सी. कल्याणी अच्चय्याम्मा (40) और जी. चेन्ना राव (37), और एक एजेंट धनश्री संतोषी (38) शामिल हैं। शिशु के जैविक माता-पिता की पहचान मोहम्मद अली आदिक (38) और नसरीन बेगम (25) के रूप में हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सात आरोपियों को चंचलगुडा जेल में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि विशाखापत्तनम शाखा की कर्मचारी सी. कल्याणी को हैदराबाद लाया जा रहा है। डीसीपी ने कहा, “अवैध व्यापार के अलावा, आरोपी व्यावसायिक सरोगेसी में भी शामिल हैं, जो भारत में अवैध है। केवल परोपकारी सरोगेसी की ही अनुमति है।”
अगस्त 2024 में क्लिनिक से संपर्क किया
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली शिकायतकर्ताओं ने प्रजनन और आईवीएफ परामर्श के लिए अगस्त 2024 में प्रजनन केंद्र से संपर्क किया था। इस दौरान, डॉ. नम्रता ने प्रजनन परीक्षण किए और दंपति को सरोगेसी का विकल्प चुनने की सलाह दी। उन्हें आगे की प्रक्रियाओं के लिए क्लिनिक की विशाखापत्तनम शाखा में आने के लिए कहा गया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “उन्हें आश्वासन दिया गया था कि क्लिनिक द्वारा एक सरोगेट का प्रबंध किया जाएगा और उनके भ्रूण का प्रत्यारोपण किया जाएगा। नौ महीनों की अवधि में, दंपति ने परामर्श, उपचार और सरोगेट देखभाल के लिए कई बार भुगतान किया।”
उन्होंने आगे कहा, “इस पूरी अवधि के दौरान, क्लिनिक ने नियमित रूप से जानकारी दी और दावा किया कि प्रेग्नेंसी सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।”
जून 2025 में, दंपति को बताया गया कि सरोगेट मां ने विशाखापत्तनम में सी-सेक्शन के ज़रिए एक लड़के को जन्म दिया है। बच्चे की कस्टडी लेने से पहले उन्हें 2 लाख रुपये का अतिरिक्त डिलीवरी शुल्क देने को कहा गया। क्लिनिक ने दावा किया कि बच्चे का बॉयोलॉजिकल पिता और पैसे की मांग कर रहा था।
पुलिस अधिकारी ने कहा, “विशाखापत्तनम पहुंचने पर, बच्चे को झूठे दस्तावेज़ों के साथ सौंप दिया गया, जिनमें एक जाली जन्म प्रमाण पत्र भी शामिल था, जिसमें यह भी बताया गया था कि बच्चा जैविक रूप से उनका है।”
जब शिकायतकर्ताओं ने डॉ. नम्रता से डीएनए रिपोर्ट मांगी, तो उन्हें पता चला कि बच्चे का रजिस्ट्रेशन उनके नाम पर करने से पहले यह रिपोर्ट नहीं ली गई थी। हालांकि, क्लिनिक के प्रतिनिधि दंपति को यह झूठा आश्वासन देते रहे कि बच्चा उनका है। शक तब पैदा हुआ जब दंपति ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक फोरेंसिक लैब में तीनों का डीएनए परीक्षण कराया, जिसमें पता चला कि उनमें से किसी का भी बच्चे से कोई जेनेटिकल संबंध नहीं है।
पुलिस अधिकारी ने कहा, “जब उन्होंने क्लिनिक से स्पष्टीकरण मांगने की कोशिश की, तो डॉ. नम्रता ने पहले तो उनके नंबर ब्लॉक कर दिए, फिर उन्हें धमकाया और आगे कोई दस्तावेज़ देने से मना कर दिया।” उन्होंने बताया कि क्लिनिक के व्यवहार से तंग आकर दंपति ने लगभग एक हफ़्ते पहले गोपालपुरम पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई।
डीसीपी ने कहा, “दुर्भावनापूर्ण इरादों से, आरोपी डॉ. नम्रता ने शिकायतकर्ता दंपति को जैविक मां से मिलने नहीं दिया, जिसे वे सरोगेट मानते थे।” शिकायत के बाद, पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर गोपालपुरम स्थित प्रजनन केंद्र को ज़ब्त कर लिया। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें ऐसे उपकरण मिले हैं जिनसे इस बात की पुष्टि होती है कि आरोपी बिना किसी उचित लाइसेंस के आईवीएफ उपचार, जीवित भ्रूण निर्माण और चिकित्सा प्रक्रियाएं कर रहे थे।
कई आपत्तिजनक उपकरण मिले
हैदराबाद के जिला चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (डीएमएचओ) डॉ. जे. वेंकट ने कहा, “पहले, जब स्वास्थ्य अधिकारी तिमाही आधार पर निरीक्षण के लिए क्लिनिक आते थे, तो यह बंद होता था और एक आवासीय परिसर जैसा लगता था। लेकिन, पता चला कि मरीज़ चुपचाप आ रहे थे।”
डीएमएचओ ने आगे कहा: “हालिया कार्रवाई के दौरान, लिंग निर्धारण और नाइट्रस ऑक्साइड के उपकरण भी मिले। केंद्र में गर्भावस्था से संबंधित कई अन्य प्रक्रियाएं जैसे एमटीपी, आईवीएफ और अन्य प्रक्रियाएं भी अप्रमाणित पेशेवरों द्वारा की जा रही थीं।” डीसीपी ने आरोप लगाया कि विरोध करने वाले ग्राहकों को उनके वकील बेटे, जो उसी परिसर में एक कार्यालय चलाता था, द्वारा धमकाया और डराया जाता था।