मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई है। यहां वारासिवनी में 22 आदिवासी दिहाड़ी मजदूरों के खाते में अचानक करोड़ों रुपये आ गए। हालांकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे करोड़पति बन गए है। उन्हें इस बात का पता तब लगा जब मुंबई साइबर क्राइम यूनिट के अधिकारी उनके घर पहुंचे। अधिकारी यह पता लगाने पहुंचे थे कि मजदूरों के खाते में करोड़ों रुपये कहां से आए? फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

मजदूरों को खातों के बारे में पता नहीं था

दरअसल, बालाघाट जिले के वारासिवनी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर तब सकते में आ गए जब मुंबई साइबर क्राइम यूनिट के अधिकारियों ने उनके खातों से करोड़ों रुपये के लेन-देन के बारे में पूछा। मजदूरों इसकी जानकारी होने के बाद से सदमें हैं। उनका कहना है कि उन्हें यह भी नहीं पता कि कितने जीरो लगाने से एक करोड़ बनता है।

पुलिस को संदेह है कि उनकी आईडी का इस्तेमाल फेक अकाउंट खोलने के लिए किया गया है ताकि गलत तरीकों से कमाए गए पैसों को उनके खातों में जमा किया जा सके। ये सभी खाते भोपाल से लगभग 460 किमी दूर और महाराष्ट्र सीमा के करीब वारासिवनी में एक प्राइवेट बैंक में हैं।

कुछ दिन पहले, मुंबई से एक पुलिस टीम वहां किए गए साइबर अपराधों की जांच के लिए शहर पहुंची थी। उन्होंने कुछ स्थानीय युवाओं से पूछताछ की जिन्हें जब बताया गया कि उनके नाम पर खोले गए खातों से करोड़ों रुपये निकले हैं तो वे दंग रह गए।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने वारासिवनी शहर से लगभग 20 किमी दूर बुदबुदा गांव के पांच लोगों को नोटिस भेजा था और ‘उनके खातों’ में करोड़ों के लेनदेन के बारे में विवरण मांगा था। इन लोगों का कहना है कि उन्हें अपने नाम पर खोले गए खातों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उनमें से कुछ ने स्थानीय पुलिस से शिकायत की है। धोखाधड़ी की खबर से हड़कंप मच गया और कई स्थानीय लोगों ने पुलिस से संपर्क किया।

सूत्रों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि दो एजेंटों ने बैंक खाते खोलने के लिए उनसे दस्तावेज लिए थे, लेकिन बाद में दावा किया था कि खाते नहीं खोले जा सके। वारसिवनी उपविभागीय पुलिस अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि लगभग 4-5 लोगों ने शिकायत की है। हम अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। पूरे मामले में जांच जारी है। दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।