Agra Panwari Kaand: आगरा के पनवारी कांड में 34 साल बाद एसटी/एससी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मामले में 34 लोगों को दोषी करार दिया, जिन्हें 30 मई को सजा सुनाई जाएगी। जबकि 15 आरोपियों के बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए बरी कर दिया गया। वहीं, तीन आरोपी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। मामले में 34 साल बाद हुए इंसाफ से पीड़ितों में खुशी की लहर है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मामला साल 1990 का है। उत्तर प्रदेश के आगरा के पनवारी गांव के रहने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की 21 जून को शादी थी। उसकी बारात आने वाली थी। लेकिन जाट समाज के लोगों ने बारात चढ़ाने का विरोध किया। यह बात जब पुलिस के पास पहुंची तो उन्होंने अपने संरक्षण में 22 जून को बारात चढ़ाने का फैसला किया।
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हालांकि, इस दौरान जाटों की भीड़ इकट्ठा हो गई और उन्होंने बारात को रोक दिया। वो बारात चढ़ाने का विरोध कर रहे थे। ऐसे में पुलिस ने बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए फायरिंग की, जिसमें एक शख्स जो जाट समाज से आता था की मौत हो गई। इस वजह से तनाव फैल गया और 24 जून को दंगा भड़क गया।
72 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
अनुसूचित जाति और जाट समाज के लोग आमने सामने आ गए थे। इस गतिरोध में एक महिला की मौत हो गई थी। जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने एक्शन लेते हुए 72 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
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हालांकि, मामला इतना लंबा खिंचा कि 22 आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। जबकि बाकी बचे आरोपियों पर अब कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर अकोला निवासी जयदेव, राजेंद्र, पप्पू, तेजवीर, बन्नो, जीतू, कुंवरपाल, कल्लो, श्यामवीर, लीलाधर, भूपेंद्र, सत्तो, महेश, नाहर, रामवीर, सुरेंद्र, रामजीत, निरंजन, हरभान, पूरन सिंह, देवी सिंह, उम्मेद सिंह, विज्जो, रामजीत, महेंद्र, संतराम, सुजान, सौदान, महतरव, दंगल, रज्जो. संपत और तीन अन्य को दोषी माना है।