गुजरात के सबसे बड़े शराब माफिया अब्दुल लतीफ का दबदबा सूबे में ऐसा था कि उसके नाम पर बड़े-बड़े कांपते थे। राजस्थान की कई शराब फैक्ट्रियों और अपराधियों के नेटवर्क ने उसे इस धंधे का सबसे रईस आदमी बना दिया था। इसके अलावा उसकी राजनीतिक पकड़ भी मजबूत थी। लतीफ के जीवन में कई ऐसे मसले थे जो उसके गले की फांस बन गए थे।

अब्दुल लतीफ की जिंदगी में 3 अगस्त 1992 की तारीख बड़ी अहम रही। लतीफ ने इस तारीख को अपने गुर्गों की मदद से अहमदाबाद के राधिका जिमखाना में गुजरात के अन्य शराब माफिया हंसराज त्रिवेदी पर गोलियां बरसा दी थी। राधिका जिमखाना शूटआउट ने गुजरात समेत पूरे देश में हड़कंप मचा दिया। उस वक्त अब्दुल लतीफ शराब के कारोबार में एकछत्र राज कर रहा था।

लतीफ के अलावा हंसराज भी गुजरात में शराब व जुएं के कारोबार में था। पहले तो उसने लतीफ से शराब खरीदने से मना कर दिया फिर उसने लतीफ के दुश्मन शहजादा के एक शार्प शूटर को शरण दे दी थी। बस इन्ही बातों ने अब्दुल लतीफ का खून खौला दिया था। इसके बाद उसने हंसराज को खत्म करने की योजना बनाई। इसी बीच उसे पता चला कि हंसराज त्रिवेदी अहमदाबाद के औढव इलाके के राधिका जिमखाना क्लब में अपने साथियों के साथ मौजूद है।

अब्दुल लतीफ ने अपने शूटरों को प्लान बताया और राधिका जिमखाना क्लब जाने के लिए कह दिया। इस घटना में लतीफ ने अपने खास शूटर शरीफ खान को काम पर भेजा था। क्लब के अंदर हंसराज अपने आठ साथियों के साथ ताश खेल रहा था। क्लब में बैठे लोगों में शरीफ खान हंसराज को पहचान नहीं पाया। ऐसे में उसने क्लब से ही लतीफ को फोन लगाया तो उसने सभी को मारने का आदेश दे दिया।

लतीफ के हुक्म मिलते ही शरीफ खान ने शूटरों के साथ मिलकर सभी नौ लोगों के ऊपर अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां बरसा दी। बताया जाता है कि गुजरात की इस घटना में क्लाशनिकोव रायफल को इस्तेमाल किया गया था। अब्दुल लतीफ के इस कारनामें ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

घटना के बाद गुजरात पुलिस अब्दुल लतीफ के पीछे पड़ गई और वह अंडरग्राउंड हो गया। पुलिस की पहुंच से दूर रहते हुए उसने अपने कई राजनीतिक सहयोगियों से मदद मांगी लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। इसी बीच अब्दुल लतीफ को दाउद इब्राहिम का आदेश मिला कि वह दुबई आ जाए। दुबई के बाद लतीफ कई साल तक पाकिस्तान में भी रहा फिर उसे 1995 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।