केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अब कथित तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में एक अधिकारी के रूप में खुद को पेश करने वाले शख्स के मामले की जांच करेगी। सीबीआई ने देश भर में शाखाओं वाले एक प्रसिद्ध नेत्र अस्पताल के प्रबंधन को इंदौर स्थित एक अस्पताल से विवाद में कानूनी समझौता करने के लिए धमकी देने के आरोप में गुजरात के एक 45 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में रणनीतिक सलाहकार समिति का निदेशक बताकर दी धमकी
सीबीआई के अनुसार मयंक तिवारी के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति ने खुद को प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में रणनीतिक सलाहकार के निदेशक और पीएमओ के सरकारी सलाहकार के निदेशक होने का दावा करते हुए डॉ. अग्रवाल के नेत्र अस्पतालों के समूह को कथित बकाया भूलने की धमकी दी। इंदौर अस्पताल पर 16.43 करोड़ रुपये का बकाया है।
पीएमओ ने न तो यह व्यक्ति और न ही उसकी ओर से बताया गया कोई पद मौजूद है
जब प्रधान मंत्री कार्यालय को धोखाधड़ी की इस हरकत के बारे में पता चला तो उसने तुरंत सीबीआई को कथित ठगी के मामले की जांच करने के लिए कहा। पीएमओ ने सीबीआई के संदर्भ में कहा, “पहली नजर में यह पीएमओ के एक अधिकारी का ढोंग करने और पीएमओ के नाम के दुरुपयोग का मामला है, क्योंकि इस कार्यालय में न तो यह व्यक्ति और न ही उसकी ओर से बताया गया कोई पद मौजूद है।”
पीएमओ के अवर सचिव चिराग एम पांचाल ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक से की शिकायत
सीबीआई के संयुक्त निदेशक को दी गई शिकायत में पीएमओ के अवर सचिव चिराग एम पांचाल ने कहा कि देश के प्रत्येक शहर में अपनी पहुंच बढ़ाने के तहत डॉ. अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड (डॉ. अग्रवाल) दो डॉक्टरों डॉ. प्रणय कुमार सिंह और इंदौर अस्पताल के डॉ. सोनू वर्मा के संपर्क में आया। दोनों डॉक्टरों ने 31 जनवरी, 2020 को अस्पताल के साथ एक समझौता किया। इसमें शर्त थी कि उनके अस्पताल का मौजूदा व्यवसाय डॉ. अग्रवाल को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। समझौते के दौरान इस बात पर भी सहमति बनी थी कि दोनों डॉक्टरों के साथ उनके अस्पताल की पूरी टीम अपनी विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करने के लिए डॉ. अग्रवाल के साथ विलय करेगी।
16.43 करोड़ रुपये का भुगतान मिलने के बाद दोनों डॉक्टरों ने समझौते को तोड़ा
शिकायत करने वाले ने कहा कि डॉ. अग्रवाल ने समझौते के अनुसार 16.43 करोड़ रुपये का भुगतान किया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि रकम प्राप्त करने के बाद दोनों डॉक्टरों ने इंदौर में डॉ. अग्रवाल नेत्र अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों को आंखों के दूसरे डॉक्टरों के पास भेजना शुरू कर दिया। उन्होंने उनके साथ किए गए समझौतों को भी खत्म कर दिया और डॉ. अग्रवाल को रकम वापस करने से भी इनकार कर दिया।
हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला, अदालत ने बातचीत के लिए नियुक्त किया मध्यस्थ
पीएमओ के मुताबिक, मामला हाई कोर्ट में गया, जिसने बातचीत के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया। मध्यस्थ ने अंतरिम निषेधाज्ञा में इंदौर स्थित अस्पताल को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने को कहा। एक सीबीआई अधिकारी ने कहा, “विवाद के दौरान डॉ. अग्रवाल के प्रमोटरों को कथित बकाया राशि भूलने और इंदौर अस्पताल चलाने वाले डॉक्टरों के साथ मामले को सुलझाने के लिए तिवारी की ओर से संदेश और कॉल आने लगे।”
खुद को पीएमओ का अफसर बताकर कोविड -19 महामारी के दौरान की कई ठगी
सीबीआई को पता चला कि कंसल्टेंसी फर्मों में काम करने वाले तिवारी ने अपने दोस्तों के लिए अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तर खरीदने के लिए कोविड -19 महामारी के दौरान नकली पहचान का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और बाद में अन्य लाभ उठाने के लिए इसका इस्तेमाल किया। चार महीने पहले, गुजरात पुलिस ने मयंक तिवारी को मार्च 2022 में वडोदरा के पारुल विश्वविद्यालय के एक ट्रस्टी को कथित तौर पर धोखा देने के लिए अपनी नकली पीएमओ पहचान का उपयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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गुजरात के किरण पटेल के बाद पीएमओ के फर्जी अधिकारी बनने का दूसरा मामला
गुजरात की मूल निवासी किरण पटेल को इस साल मार्च में पीएमओ अधिकारी होने का दावा करने के आरोप में जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद यह दूसरा मामला है। किरण पटेल के मामले को लेकर देश भर में सरकार परसवाल उठाए गए थे। किरण पटेल ने कई राज्यों के बड़े अधिकारियों और नेताओं को ठगा था।