जैसे-जैसे दुनिया आगे बढ़ रही है, वैसे ही जुर्म के तरीके भी नए होते जा रहे हैं। यूपी के गाजियाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां कुछ लोग यूट्यूब से तरीका सीखकर घर के प्रिंटर से ही नकली नोट बनाने का काम कर रहे थे। अब तक इस मामले में सात गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि, सारा राज खुलने से पहले ये लोग करीब 16 लाख रुपये के नकली नोट छाप चुके थे।
इतने लाख के नकली नोट छाप चुका था गिरोह: गाजियाबाद पुलिस के अनुसार, नकली नोट छापने का धंधा करने वाले एक गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी लोग इस गोरखधंधे में शामिल थे। यह लोग अब तक करीब 16 लाख रुपये के नकली नोट छाप चुके थे। वहीं छापे के दौरान करीब 6 लाख 59 हजार के नकली नोट बरामद भी किये गए हैं।
8 महीनों से चल रहा था गोरखधंधा: सीओ सदर आकाश पटेल ने मामले में जानकारी देते हुए बताया कि, नकली नोट बनाने का यह काम कैलाभट्ठा में बीते 8 महीनों से किया जा रहा था। हमें सूचना मिली थी कि उक्त जगह पर कोई गैरकानूनी गतिविधि जारी है, जिसके बाद हमने छापा मारकर कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह एक घर में बैठकर इस पूरे काम को अंजाम दे रहा था। जब्त किये गए 6.59 लाख रुपयों में 100 से लेकर 2000 रूपए तक के नोट शामिल हैं। सीओ पटेल ने आगे बताया कि, हमने घर से एक कागज काटने की मशीन, कागज और 2 प्रिंटर बरामद किये हैं।
मई में शुरू हुआ था गैरकानूनी काम: सीओ सदर आकाश पटेल ने बताया कि मौके से हमें केवल तीन लोग ही मिले थे, लेकिन पूछताछ के बाद आरोपियों की पहचान गाजियाबाद के रहने वाले अमन, आलम, सोनू, रहबर, आजाद, फुरकान और मो. युनुस के रूप में हुई है। इस पूरी गैंग का मास्टरमाइंड आजाद है।
यूट्यूब से सीखा तरीका: मास्टरमाइंड आजाद ने पुलिस को बताया कि मई, 2021 में उसे पेट्रोल पंप पर किसी ने नकली नोट दिया था। जब नोट के नकली होने का पता चला तो बाजार गया और नोट चल गए। तभी उसे नकली नोट छापने का आइडिया आया और फिर यूट्यूब से तरीका सीखकर मो. युनुस और सोनू के साथ काम शुरू कर दिया। बाकी बचे आलम, अमन और फुरकान इन नकली नोटों को बाजार में खपा देते थे। अब तक यह गिरोह करीब 12 लाख रुपये के नाली नोट बाजार में खपा चुका है।
फर्क करना बेहद मुश्किल: सीओ सदर आकाश पटेल ने कहा कि, यह आरोपी ऐसे नोट छाप रहे थे, जिन्हें आप पहली बार में भांप नहीं सकते थे। यानी असली और नकली में अंतर करना बेहद मुश्किल हो गया था। हालांकि, आरोपियों ने इस बात से इंकार किया है कि उनका किसी विदेशी नेटवर्क से भी लिंक था पर जांच जारी है।
गौरतलब है कि, बीते साल 23 दिसंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने नकली नोटों के इंटरनेशनल सिंडीकेट का खुलासा किया था और दो लोगों को पकड़ा भी था।