एक लड़की जो कभी एयरहोस्टेस थी लेकिन जल्दी पैसे कमाने की चाहत ने उसे जुर्म की दुनिया में धकेल दिया। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने और जानी-मानी एयरलाइन्स में बढ़िया नौकरी छोड़कर माफिया बनने वाली लड़की का नाम ममता मसीह है। साधारण परिवार से आने वाली ममता का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं था। बस अमीर बनने के लालच ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।

ममता मसीह मूलतः एमपी के उज्जैन की रहने वाली थी। शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में होशियार ममता ने स्कूलिंग ख़त्म की और करियर बनाने शहर की ओर निकल गई। कई सालों तक होटल इंडस्ट्री में काम करने के बाद ममता मसीह ने एयरहोस्टेस बनने की सोची। ममता की चाह थी कि यहां पैसे के साथ घूमने को मिलेगा। ममता मसीह की किस्मत चमकी फिर खूबसूरती व फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के चलते उसकी स्पाइसजेट में एयरहोस्टेस की नौकरी लग गई।

ममता मसीह ने एक साल तक एयरहोस्टेस की नौकरी की लेकिन और पैसे कमाने की चाहत में उसने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह गुरुग्राम के एक स्पा में नौकरी करने लगी और यहां उसकी मुलाकात पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी विनय से हुई। विनय के साथ हुई मुलाकात से ही ममता मसीह की जिंदगी बदल गई। यहीं से उसने विनय की दिखाई राह पर अमीरों को हनीट्रैप करने का काम शुरू किया। विनय पर 1.25 लाख रूपये के इनाम सहित 32 केस दर्ज थे।

शुरुआत में प्लान के तहत अमीर लोगों को मिस कॉल मारती और फिर मोहक बातों से उन्हें फंसा लेती थी। इसके बाद मुलाकात के बहाने मिलने पहुंचे व्यक्ति का अपहरण कर मोटा रकम वसूलती। इन सब कामों में उसे विनय की मदद मिलती थी। साल 2016 तक सब कुछ ठीक था लेकिन इसी बीच उसने मेरठ के कारोबारी मनोज गुप्ता को जाल में फंसाया और उसे दिल्ली में मुलाकात के बाद देहरादून से मसूरी ले गई।

18 फरवरी 2016 को किया गया मनोज गुप्ता का अपहरण ममता के लिए भारी पड़ गया। इस अपहरण में उसने मनोज के परिवार से 1 करोड़ की फिरौती मांगी थी। मेरठ के बड़े कारोबारी के अपहरण के चलते पुलिस हरकत में आई लेकिन वह पुलिस की पकड़ से दूर रही। कई दिनों तक चले बातचीत के दौर में मामला 20 लाख रुपए और 3 किलो सोने पर आकर रुका और मनोज को छोड़ दिया गया।

मनोज की रिहाई के बाद भी यूपी और उत्तराखंड की पुलिस के हाथ खाली थे। इसी बीच पुलिस को एक शख्स से लीड मिली जिसने ममता को सिम उपलब्ध कराया था और फिर ममता मसीह को दिल्ली के महिपालपुर से गिरफ्तार कर लिया गया।