राजस्थान में बीते सालों में आनंद पाल सिंह, राजू ठेहट, कैलाश मांजू जैसे कई कुख्यात गैंगस्टर्स का दबदबा रहा, लेकिन इन सबके बीच एक है नाम राजू फौजी का है। काफी समय से फरार चल रहे कुख्यात तस्कर राजू फौजी के ऊपर एक लाख का इनाम था पर कुछ दिनों पहले ही पुलिस द्वारा उसे एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। राजू फौजी पर दो सिपाहियों की हत्या का भी आरोप है और वह 8 महीने से फरार था। ऐसे में बताते हैं आखिर वह कैसे फ़ौज की नौकरी छोड़ राज्य का मोस्टवांटेड अपराधी बन गया।
बाड़मेर के डोली गांव के रहने वाले राजू फौजी का असली नाम राजू बिश्नोई है। लोग उसे राजूराम फौजी के नाम से भी जानते हैं। कुख्यात तस्कर बनने से पहले किसान परिवार में पैदा हुआ राजू, सीआरपीएफ में जवान था। लेकिन साल 2005 में उसने नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आया। इसके बाद राजू ने जल्दी पैसा कमाने के लालच में छोटे स्तर पर मादक पदार्थों (अफीम-डोडा) की तस्करी शुरू की।
छोटे स्तर पर अफीम-डोडा की तस्करी करने वाले राजू फ़ौजी को अब बड़े तस्करों का साथ मिलने लगा था। इसी दौरान उसका कई गुटों से झगड़ा भी हुआ, जिसके चलते उस पर जोधपुर के शास्त्री नगर थाने में पहले मामला दर्ज हुआ। हालांकि बाद में वह आपसी सुलहनामा के चलते इस केस से बरी हो गया। इसके बाद उसने मादक पदार्थों की तस्करी में बड़ा नाम बनाया। मादक पदार्थों की तस्करी के पैसों से उसने तरह-तरह के हथियार खरीदने शुरू किए।
इस दौरान आंधी की तरह अपराध के रास्ते पर दौड़े चले जा रहे राजू फौजी पर राज्य के कई थानों में हत्या, हत्या के प्रयास आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में केस दर्ज होने भी शुरु हो गए। लेकिन जब उसने दो पुलिस वालों की हत्या की तो वह राज्य का मोस्टवांटेड अपराधी बन गया। पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद वह 8 महीने फरार रहा और करीब 10 राज्यों के 16 जिलों में फरारी काटता रहा। उस पर 2005 से अब तक करीब 22 मामले दर्ज हैं। ये 22 मामले नागौर, बाड़मेर, जालौर, भीलवाड़ा, राजसमंद और जोधपुर के अलग-अलग थानों में दर्ज है।
पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भीलवाड़ा भीमगंज थाना अधिकारी ने बताया था कि राजू ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपना हुलिया बदल लिया था। इस दौरान उसने हेयर ट्रांसप्लांट भी कराया था। राजू फौजी के ऊपर दर्ज 22 मामलों में 5 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं, जबकि 13 मामले पुलिस के पास पेंडिंग है। लेकिन इन सभी मामलों में अभी तक उसे कोई सजा नहीं मिली है।