मुंबई में 80-90 के दशक में अंडरवर्ल्ड अपने पूरे उफान पर था। गैंगवार, अपहरण और जबरन वसूली के लिए कारोबारियों और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को धमकी मिलना सब आम हो गया था। हालांकि इसी दौर में कुछ ऐसे पुलिसवाले उभरकर सामने आये, जिन्होंने अंडरवर्ल्ड जैसे नासूर की सर्जरी कर दी। इन्हीं में से एक रहे दया नायक, जो एनकाउंटर के स्पेशलिस्ट माने जाते हैं।

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कौन है दया नायक: कर्नाटक के उडुपी जिले के करकला तालुक के छोटे से गांव येनेहोल में जन्मे दया नायक कक्षा 7 की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1979 मुंबई चले आए थे। मुंबई में उन्होंने एक होटल में काम करने से शुरुआत की। उन्होंने 8 साल तक होटल में काम किया और फिर प्लंबर के रूप में भी काम किया। इस काम के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। पहले दया नायक ने गोरेगांव के एक स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की और फिर अंधेरी के एक स्कूल से ग्रेजुएशन पूरा किया।

80 से ज्यादा एनकाउंटर: दया नायक साल 1995 में एक प्रशिक्षु के रूप में मुंबई पुलिस का हिस्सा बने। थोड़े ही समय में वह शहर के प्रमुख एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में गिने जाने लगे। दया नायक के नाम 80 से अधिक एनकाउंटर दर्ज हैं, जिसमें साल 1996 के दिसंबर में दया नायक ने जुहू में छोटा राजन के 2 गुर्गों का एनकाउंटर किया और यह उनका पहला एनकाउंटर था। इसके अलावा, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 3 सदस्यों का भी एनकाउंटर नायक के नाम दर्ज है।

दया नायक पर बनी फिल्में: मुंबई पुलिस के इस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पर बॉलीवुड के साथ-साथ दक्षिण भारतीय फिल्म जगत में भी फिल्में बनी। जैसे; अब तक छप्पन में नाना पाटेकर तो वहीं डिपार्टमेंट में राणा दग्गुबाती ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक से मिलते-जुलते किरदार को निभाया था। वहीं, कन्नड़ फिल्म एनकाउंटर दया नायक, तेलुगु में सिद्धम और गोलीमार नाम की फिल्म भी उनके जीवन से प्रेरित है।

विवादों में रहा नाम: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक जितना अपने काम को लेकर चर्चा में रहे, उतना ही उनका नाम विवादों से भी घिरा रहा। साल 2002 में आय से अधिक संपत्ति, अंडरवर्ल्ड के साथ संबंधों के लिए मकोका के तहत जांच हुई थी लेकिन दोनों ही मामलों में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी। फिर साल 2006 में दया को आय से अधिक संपत्ति के दूसरे मामले में एसीबी ने गिरफ्तार किया था और उन्हें सस्पेंड भी होना पड़ा था। इस हालांकि, कई सालों की जांच के बाद 2010 में उन्हें आरोप मुक्त कर साल 2012 में फिर से बहाल कर दिया था।

ट्रांसफर हुआ पर नहीं किया रिपोर्ट: दो सालों तक आर्म्स यूनिट में काम करने के बाद दया नायक का जनवरी 2014 में तबादला नागपुर कर दिया गया। लेकिन ट्रांसफर की जगह पर उन्होंने रिपोर्ट ही नहीं किया, जिसके चलते जुलाई 2015 में उन्हें फिर से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, अगस्त 2015 में ट्रांसफर आदेश रद्द कर 11 जनवरी 2016 को मुंबई पुलिस ने फिर से बहाल कर दिया गया था।

गांव में बनवाया स्कूल: दया नायक ने लोगों से चंदा जुटाकर अपने पैतृक गांव येनहोल में एक स्कूल बनवाया, जिसका नाम राधा नायक एजुकेशनल ट्रस्ट रखा गया। इस स्कूल का उद्घाटन अमिताभ बच्चन ने साल 2000 में एमएफ हुसैन, सुनील शेट्टी जैसी तमाम हस्तियों की उपस्थिति में किया था। हालांकि, बाद में इस स्कूल को कर्नाटक सरकार को सौंप दिया गया जिसे अब राधा नायक गवर्नमेंट हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

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First published on: 16-06-2022 at 21:38 IST