बिहार की धरती पर कई बड़े बाहुबली हुए लेकिन गंगा के किनारे बसे मोकामा में कई ऐसे अपराधी ऐसे हुए जिन्होंने मोकामा की धरती पर खूब दाग लगाए। लेकिन मोकामा के ‘छोटे सरकार’ अनंत सिंह ने अपने नाम हत्या, फिरौती, अपहरण जैसे कई संगीन जुर्म दर्ज कराए। अनंत सिंह अपने रौबीले अंदाज, खुर्राट स्वभाव और भारी भरकम मूंछो के साथ अपने शौक की वजहों से भी जनता के बीच काफी फेमस रहा।

अनंत सिंह का जन्म राजनीतिक घराने में हुआ, उनके बड़े भाई दिलीप सिंह बिहार के बड़े नेता थे और लालू सरकार में मंत्री पद पर भी रहे। दिलीप अपने छोटे भाई अनंत को समझते थे और उन्होंने ही छोटे सरकार को सारे दांव-पेच सिखाए। कम उम्र में ही वह रंगदारी और फिरौती के धंधे में आ गया था। साल 1994 से 96 के बीच का समय था जब अनंत और नीतीश करीब आने लगे।

2004 का साल था जब बिहार एसटीएफ ने अनंत के घर पर छापा मारा, भीषण गोलीबारी हुई लेकिन वह भाग निकला। इसके बाद कई चुनावों में वह नीतीश के साथ रहा लेकिन साल 2005 में असली रंग तब दिखा जब जेडीयू के टिकट पर अनंत सिंह को मोकामा विधानसभा से खड़ा किया गया। कई संगीन मामलों में नामजद होने और डॉन की छवि वाले इस शख्स ने यह चुनाव भी जीत लिया।

अनंत सिंह इस सीट से चुनाव जीतते रहे लेकिन साल 2007 में अनंत का नाम एक महिला से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सामने आया तो नीतीश ने मौन धारण कर लिया। फिर इसी मामले में जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया तो उसे भी इस बदमाश के गुर्गों नें बंधक पीटा, तब भी सुशासन बाबू शांत ही रहे। इस दौरान अनंत की कमाई भी धड़ल्ले से बढ़ी। 2005 के हलफनामे के अनुसार, अनंत ने अपनी संपत्ति करीब 3.40 लाख के करीब बताई थी पर 2010 में ही वह बढ़कर करीब 39 लाख तक पहुंच गई।

साल 2015 आते-आते अनंत एक मामले में और घिर गया था जब 4 युवकों ने बीच बाजार उसके परिवार की एक महिला के साथ छेड़खानी कर दी थी और उसके बाद अनंत के गुर्गों ने इन चारों को बंधक बना लिया था जिसमें एक की मौत भी हो गई थी। इसके बाद अनंत और उसके कुछ साथियों को अरेस्ट कर लिया गया और जेल भेज दिया गया।

इसी साल नीतीश और अनंत दूर हो गए क्योंकि वह लालू और नीतीश के साथ आने से नाराज था। साथ ही उसने जेडीयू से इस्तीफ़ा भी दे दिया था लेकिन 2015 का चुनाव उसने जेल से ही लड़ा और जीता भी। इसके बाद 2019 में अनंत तब सुखियों में आया, जब पुलिस ने उसके पैतृक घर में छापेमारी कर एक एके-47, कई मैगजीन और बम बरामद किए थे। इस मामले में उसके खिलाफ यूएपीए एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ और उसने दिल्ली की साकेत कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।

हालांकि इस मामले में सफाई देते हुए अनंत सिंह ने कई कहानियां गढ़ी थी कि मैं वहां नहीं रहता आदि-इत्यादि। पिछले साल भी अनंत सिंह, हत्या और अपहरण के एक मामले में बरी हुआ था, इसके बाद बीते दिनों ही उसे फिर एक दोहरे हत्याकांड में पटना की एमपी-एमएलए स्पेशल अदालत ने बरी कर दिया है। फिलहाल कई अपराध से जुड़े मामलो में वह पटना की बेउर जेल में बंद है।