कानपुर के किडनी रैकेट के तार दिल्ली से भी जुड़ रहे हैं। इस मामले में एसआईटी ने दिल्ली के मशहूर अस्पताल पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल (पीएसआरआई) के सीईओ डॉ. दीपक शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में डोनर के फर्जी कागजात तैयार कराने के बाद रिसीवर का रिश्तेदार बनकर फाइल को ट्रांसप्लांट की अधिकृत कमेटी के पास भेजा जाता था। डॉ. दीपक शुक्ला उस कमेटी के चेयरमैन थे। आरोप है कि जब फाइल उनके पास फाइल जाती थी तो वह फर्जी कागजात को सही बताकर ट्रांसप्लांट की मंजूरी दे देते थे। जानकारी के मुताबिक, डोनर से ली गई किडनी को 25-30 लाख रुपए में बेचा जाता था। इसके बदले में डोनर को 4-5 लाख रुपए दिए जाते थे। इस गैंग के सदस्य पूरे देश में फैले हैं, जो डोनर्स को किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए प्रेरित करते हैं। बता दें कि पूछताछ के दौरान इसी रैकेट के एक सदस्य ने अल्मोड़ा के बीजेपी विधायक सुरेंद्र झीना का नाम लिया था। उसने बताया था कि विधायक ने अपने भाई का किडनी ट्रांसप्लांट उनकी मदद से ही कराया था।

पुलिस का यह है दावा: एसपी क्राइम राजेश यादव ने बताया कि डॉ. दीपक शुक्ला पीएसआरआई हॉस्पिटल के सीईओ हैं, जो प्रमुख रूप से अंग प्रत्यारोपण का काम करता है। यह दिल्ली का जाना-माना अस्पताल है। इस अस्पताल को 2001 से अंग प्रत्यारोपण के लिए अधिकृत किया गया था। विगत कुछ वर्षो से अंग प्रत्यारोपण की संख्या बढ़ गई थी। हॉस्पिटल में पूरी तरह से डॉ. शुक्ला का कंट्रोल था, जो सभी चीजों का पालन व्यवस्थित और सुचारू रूप से कराते थे। आरोप है कि डॉ. शुक्ला के कोऑर्डिनेटर फर्जी प्रपत्रों और लैब के सहयोग से ब्लड सैंपल चेंज कराकर और नजदीकी संबंध दिखाकर ट्रांसप्लांट करा देते थे।

National Hindi News, 09 June 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक

डॉ. शुक्ला पर इस वजह से शक: पुलिस का कहना है कि डॉ. दीपक शुक्ला अधिकृत कमेटी के चेयरमैन थे। ऐसे में वह हर फाइल को बड़ी आसानी से पास कर देते थे और उनकी परमिशन के बाद बड़ी ही आसानी से किडनी ट्रांसप्लांट हो जाता था। इसमें डोनर फेक होता है। वह जिस नाम से अपना अंग प्रत्यारोपित कराता है और कागजात में जो रिश्ता दर्शाता है, वह हकीकत में होता ही नहीं है। ऐसे में यह पूरा कारोबार फर्जीवाड़े से चल रहा था। पुलिस के मुताबिक, अभी पीएसआरआई हॉस्पिटल के कुछ अन्य लोगों की भी जांच की जाएगी। वहीं, कुछ अन्य अस्पतालों के नाम भी सामने आए हैं, जिनके कागजात चेक किए जाएंगे। साथ ही, सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. शुक्ला ने रखा अपना पक्ष: डॉ. दीपक शुक्ला के मुताबिक, यदि फर्जी कागजात तैयार किए गए हैं तो यह हॉस्पिटल को कैसे पता चलेगा कि वे फर्जी हैं। जिन लोगों ने फर्जीवाड़ा किया, उनसे ही पूछना चाहिए कि उन्होंने यह कैसे किया? यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। यदि हमारे सामने ओरिजिनल आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और पासपोर्ट पेश किए जा रहे हैं तो उनकी सत्यता कैसे चेक की जा सकती है? मेरी जानकारी न तो पैसे की डीलिंग हुई और नहीं फर्जी कागजात बनाए गए। यदि कोई मेरे ऊपर आरोप लगा दे तो मैं क्या कर सकता हूं? (कानपुर से सुमित शर्मा की रिपोर्ट)