जब देश 15 अगस्त, 1947 में आजाद हुआ और कई सालों बाद देश में पहले आम चुनावों की बात उठी तो उस वक्त सौराष्ट्र में एक पटकथा लिखी जा रही थी। इस पटकथा का मुख्य किरदार एक डकैत था, जो उस समय हत्या, डकैती, लूट और अन्य जघन्य अपराधों के लिए कुख्यात था। इस पटकथा के दूसरे मुख्य किरदारों में राजघरानों से जुड़े लोग थे, जिन्हें अपने राजशाही के भविष्य पर काले-घने बादल मंडराते दिख रहे थे।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in करें

इस दौरान एक जमीन तैयार की गई, जिस पर आम चुनावों को प्रभावित करने के लिए आतंक फैलाया जाना था। माना जाता है कि इस साजिश के पीछे की कहानी का उद्देश्य लोगों को यह बताना था कि लोकतंत्र की वजह से कानून व्यवस्था चरमरा गई है और अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो ऐसा होता रहेगा।

कौन था भूपत सिंह: इस पूरी कहानी में मुख्य काम भूपत सिंह को सौंपा गया था। गुजरात के काठियावाड़ में जन्में भूपत सिंह की छवि रॉबिनहुड वाली थी। साल 1920 के आसपास भूपत अच्छा निशानची था और वागनिया दरबार में घोड़ों की देखरेख का काम किया करता था। लेकिन जब उस पर वागनिया दरबार के 9 लाख रुपए की चोरी का इल्जाम लगा तो वह एक आरोपी बन चुका था। साल 1950-52 के बीच डाकू भूपत सिंह अपने खूंखार कारनामों को लेकर काफी चर्चित हुआ था। उसके किस्से पश्चिमी देशों के अखबारों की सुर्खियां बनते थे। मई 1952 में द न्यू यॉर्कर ने लिखा था कि, “भारत में चुनावों से पहले भूपत नाम के एक डकैत के कारनामे बढ़ते चले जा रहे हैं।”

राजाओं का ऐसा था खास मकसद: देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी शाही खर्चे में कटौती की कोशिश में लगी थी। राजाओं से राजशाही वापस करने के साथ उनकी निजी संपत्ति भी वापस मांगी गई थी। जो सहमत थे उन्होंने अमल किया लेकिन जो इस पक्ष में नहीं थे उन्होंने भूपत के सहारे साजिश रची कि वह आतंक फैलाए ताकि राजा अपने लोगों को बता सके कि उन्हें लोकतंत्र की नहीं बल्कि राजशाही की जरूरत है, जिसमें अपराध न के बराबर था।

साजिशें धरी रह गईं, जनता ने दिया पूर्ण बहुमत: कुछ राजाओं पर आरोप यह भी थे कि वह हिंसा फैलाने के लिए भूपत और उसके साथियों को हथियार और रसद की मदद करते थे। इन राजाओं पर आरोप थे कि वो भूपत को पैसे देते थे ताकि वह राजनीतिक विरोधियों का कत्ल कर सके। इन्ही कारणों के चलते भूपत का आतंक इतना बढ़ा कि सरकार को उस पर 50 हजार का इनाम रखना पड़ा। हालांकि, राजाओं और भूपत की लाख कोशिशों के बावजूद भी सौराष्ट्र के लोग चुनाव में कांग्रेस के साथ गए। पार्टी को सभी संसदीय सीट पर जीत हासिल हुई और करीब 90 फीसदी असेंबली सीट भी कांग्रेस के खाते में गई।

भरोसेमंद साथी मरा तो पाक भाग गया भूपत: भूपत के बारे में कहा जाता था कि उसने करीब 70 हत्याएं की थी और कई डकैतियों को अंजाम दिया था। मराठी में लिखी गई अपनी किताब में एक मशहूर पुलिस अफसर वीजी कानिटकर ने भूपत सिंह के बारे में लिखा था कि जब उसका एक करीबी मार गिराया गया तो वह पाकिस्तान भाग गया था। वीजी कानिटकर के मुताबिक भूपत ने पाकिस्तान में इस्लाम धर्म अपनाकर निकाह कर लिया था। साथ ही उसने अवैध रूप से पाकिस्तान में घुसने के चलते एक साल की सजा भी काटी थी।

Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा जुर्म समाचार (Crimehindi News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 24-05-2022 at 22:00 IST