एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने के मामले में आजीवन जेल की सजा काट रहे आसाराम को कभी स्वामी चिन्मयानंद ने बचाने का प्रयास किया था। आज वह खुद यौन शोषण मामले में आरोपी हैं। इस समय चिन्मयानंद न्यायिक हिरासत में हैं। आसाराम पर साल 2013 में शाहजहांपुर की एक लड़की ने बलात्कार का आरोप लगाया था। मध्यप्रदेश स्थित आसाराम के गुरूकुल में पीड़िता पढ़ती थी। एक दिन इलाज करने के बहाने पीड़िता को जोधपुर के पास आसाराम के आश्रम ले जाया गया वहां पर आसाराम ने उसका यौन शोषण किया।
पीड़ित छात्रा के केस को कमजोर करने की कोशिश कीः जानकारी के मुताबिक जिस समय आसाराम के खिलाफ पीड़ित छात्रा ने आसाराम पर के खिलाफ शिकायत दी थी। उसके केस को कमजोर करने के लिए चिन्मयानंद ने अपने स्कूल से फर्जी मार्कशीट और टीसी बनवाए ताकि आसाराम पर से पॉक्सो एक्ट के तहत लगी धाराएं हट जाए। यही नहीं इस पूरे प्रकरण में चिन्मयानंद ने अपने स्कूल की प्रिसिंपल को भी मिला लिया और जोधपुर में आसाराम के पक्ष में गवाही देने के लिए भेजा।
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कोर्ट ने पीड़िता को माना नाबालिगः पीड़िता के परिजनों ने बताया कि आसाराम को बचाने के लिए चिन्मयानंद ने अपने स्कूल श्री शंकर मुमुक्ष विद्यापीठ से रेप पीड़िता को बालिग साबित करने के लिए नकली दस्तावेज दिए गए थे। इस मामले में चिन्मयानंद के स्कूल की प्रिंसिपल जया कामत ने आसाराम के पक्ष में गवाही दी थी। हालांकि कोर्ट ने पीड़िता के पिता द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों के आधार पर नाबालिग माना और आसाराम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा को लगाए रखा। साथ ही उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश की विशेष जांच दल की टीम ने चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ्तार किया था। वहीं राज्य यूपी के डीजीपी ने कहा कि चिन्मयानंद से फिरौती मांगने की कोशिश के आरोप में 3 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

