सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में CBI जांच शुरू कर चुकी है। अभिनेता सुशांत सिंह की कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर सुशांत सिंह को सुसाइड के लिए उकसाने का आऱोप है। अब सवाल यह है कि क्या सीबीआई रिया चक्रवर्ती पर यह आऱोप साबित करने में सफल हो पाएगी? सवाल इसलिए क्योंकि सीबीआई ने पिछले कुछ सालों में सुसाइड के कुछ ऐसे ही केसों की जांच की है लेकिन उसे उतनी सफलता नहीं मिली है। सबसे पहले आपको बता दें कि सुसाइड के लिए उकसाने के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा (306) के तहत केस दर्ज किया जाता है।

जिया खान केस: इस संबंध में जिया खान की मौत का केस सबसे बड़ा उदाहरण माना जा सकता है। अभिनेत्री जिया खान ने साल 2013 में कथित तौर से आत्महत्या की थी। उस वक्त अभिनेता आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली पर जिया को सुसाइड के लिए उकसाने का आऱोप लगा था।

इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई। साल 2017 में इस मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दायर की थी। जिया की मां राबिया खान हमेशा से यह कहती आई हैं कि उनकी बेटी की हत्या की गई है। इस मामले में भी सीबीआई ने कई लोगों से पूछताछ की है पर किसी फाइनल नतीजे पर अब तक नहीं पहुंच सकी है।

रुचिका गिरहोत्रा केस: 14 साल की टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा ने 12 अगस्त 1990 को हरियाणा पुलिस के तत्कालीन आईजी एसपीएस राठौड़ पर आऱोप लगया था कि उन्होंने अपने कार्यालय में उनसे छेड़छाड़ की थी। रुचिका ने इस संबंध में केस दर्ज कराया था। कहा जाता है कि उस वक्त रुचिका के पूरी परिवार को पुलिस ने काफी प्रताड़ित किया था।

दिसंबर 1993 में रुचिका ने सुसाइड कर लिया और 1998 में अदालत ने सीबीआई जांच के आदेश दिेये। सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दायर किया और साल 2010 में ब्यूरो की तरफ से फ्रेश केस भी दायर की गई थी। इस मामले में साल 2016 में अदालत ने आरोपी को टेनिस खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ का दोषी जरुर पाया लेकिन सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में आरोप साबित नहीं हो पाए।

ऐसे केसों को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इन मामलों में मृतक शख्स सुसाइड से पहले क्या महसूस कर रहा था यह बेहद अहम है। इसके अलावा ऐसे मामलों में आरोपी की मंशा क्या है यह साबित करना भी मुश्किल है। खास कर वैसी परिस्थिति में जब इंसान की मौत हो चुकी हो।

ऐसे मामलों में दोष तब ही साबित हो पाता है जब यह पूरी तरह साबित हो जाए की मरने वाले ने आरोपी के द्वारा उकसाए जाने पर ही आत्महत्या की है। यह भी साबित करना जरुरी है कि सुसाइड के लिए उकसाने के बाद युवक मानसिक तौर से परेशान हो चुका था और उसके पास आत्महत्या के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा था। युवक अगर किसी मानसिक बीमारी से परेशान था तो ऐसी स्थिति में भी किसी नतीजे तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है।