शाहजहांपुर यौन शोषण केस में स्वामी चिन्यानंद को गिरफ्तार कर लिया गया है। स्वामी चिन्मयानंद का विवादों से पुराना नाता रहा है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री इंजीनियर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोंडा पॉलिटिक्निक में पढ़ाई करने के लिए दाखिला भी लिया था। लेकिन एक दिन अचानक एक संन्यासी के प्रवचन से प्रभावित होकर उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला किया। इसके बाद वह राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बने और सक्रिय राजनीति की दुनिया में कदम रखा।
प्रवचन सुन बने संन्यासीः स्वामी चिन्मयानंद पर लगे आरोपों को लेकर गोंडा जिले के परसपुर ब्लॉक के पंचायत तेवरासी की रमईपुर एक बार चर्चा का विषय बन गया है। दीक्षा से पहले चिन्मयानंद का असल नाम कृष्णपाल सिंह उर्फ पुन्नु सिंह था। साल 1966 में कृष्णपाल रामलीला मैदान में एक संन्यासी का प्रवचन सुन कर प्रभावित हुए और संत बनने का फैसला किया। संत बनने के बाद चिन्मयानंद ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।
National Hindi News, 21 September 2019 LIVE Updates: देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करें
राजनीति में रखा कदमः एनबीटी में छपी खबर के मुताबिक राम मंदिर आंदोलन के दौरान भाजपा के नेतृत्व में कई संतों को राजनीति का हिस्सा बनाया गया। स्वामी चिन्मयानंद भी राम मंदिर आंदोलन के दौरान राजनीति में आए। चिन्मयानंद को साल 1991 में लोकसभा चुनाव में बदायूं सीट पर भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था। इस चुनाव में उन्होंने शरद यादव को 15 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। इसके बाद वह पहली बार सांसद बने। बता दें साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें गृह मंत्री बनाया गया।
पहले भी रहे विवादों का हिस्साः स्वामी चिन्मयानंद पर साल 2011 में दिल्ली की एक युवती ने उनका रेप करने का आरोप लगाया था। साल 2002 में युवती ने साध्वी की दीक्षा ली थी। साध्वी ने आरोप लगाया था कि साल 2004 में चिन्मयानंद ने उसका रेप किया। बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद के मुमुक्ष आश्रम की जमीन को लेकर भी चर्चा में रहे हैं। आश्रम में इंटर कॉलेज से लेकर लॉ कॉलेज तक पांच शिक्षा संस्थान चलते हैं।
