Gujarat Bilkis Bano Case: साल 2002 के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले 11 दोषियों को 15 अगस्त को गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत गोधरा सब-जेल से रिहा कर दिया गया। बता दें कि राज्य द्वारा एक समिति बनाई गई थी, जिसने सभी दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी। गुजरात सरकार के आदेश के बाद सभी को 15 अगस्त को रिहा करने की अनुमति दी गई।

बिलकिस बानो के पति बोले- अब डर और ज्यादा बढ़ गया है

बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल पटेल ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कहा कि “हम अब तक शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे लेकिन अब जब वे सभी जेल से रिहा हो गए हैं तो हम बेहद दुखी और परेशान हैं। पहले भी डर था लेकिन हम एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, अब इस कदम के बाद डर बहुत बढ़ गया है और माहौल भी अच्छा नहीं है।”

याकूब ने बयां किया दर्द, कहा- साल 2002 में हमने सब कुछ खो दिया

याकूब रसूल पटेल ने बताया कि उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी कॉमर्स की छात्रा है और दूसरी साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई कर रही है, जबकि बेटा ग्यारहवीं कक्षा में है। याकूब ने पुराने दुःख भरे दिनों को याद करते हुए बताया कि 2002 में हमने सब कुछ खो दिया, हमारी तीन साल की बेटी की हत्या कर दी गई। परिवार के अधिकतर लोगों को मार डाला गया और बिलकिस को ऐसी घटना का सामना करना पड़ा, जो आज भी दर्द देती है।

हम छिप-छिपकर जिंदगी बिताने को मजबूर, नहीं मिली सुरक्षा

बिलकिस बानो के पति ने बातचीत में कहा कि उन्हें गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की रिहाई के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई, जब उन्होंने टीवी पर खबर देखी तब जाकर मालूम हुआ था। पटेल ने कहा, “हम इतने डर में जी रहे हैं, हमारे पास कोई सुरक्षा भी नहीं है। हम अपना ठिकाना बदलकर और छिप-छिपकर जिंदगी बिता रहे हैं। हमने सरकार से भी सुरक्षा की गुहार लगाई लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।”

न नौकरी और न घर, सरकार पर नहीं रहा भरोसा

याकूब रसूल पटेल ने सरकार की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे पर बात करते हुए कहा कि- उन्हें अभी भी घर और नौकरी नहीं मिली है। पटेल ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि उनके पास अभी के लिए कोई कानूनी टीम नहीं है जो भविष्य के कानूनी विकल्पों के बारे में उन्हें बता सके। इस तरह के फैसले के बाद हमें सरकार पर कोई भरोसा नहीं रह गया है।”

क्या है बिलकिस बानो केस?

गुजरात के लिमखेड़ा तालुका में साल 2002 की भीड़ की हिंसा के बाद हुए बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार के आरोप में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फिर जनवरी 2008 में मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में सजा का आदेश दिया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने के साथ जस्टिस गोगोई, संजीव खाना और दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य को उन्हें सरकारी नौकरी देने का निर्देश दिया था।

15 अगस्त को जिन 11 दोषियों को रिहा करने के आदेश दिए गए हैं उनमें राधेश्याम शाह, जसवंत चतुरभाई, केशुभाई वडानिया, बाकाभाई वडानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोढिया का नाम शामिल हैं। इन सभी ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए थे।