साल 2018 में हुए भीमा-कोरोगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा ने मंगलवार (14 अप्रैल, 2020) को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के सामने सरेंडर कर दिया। देश में जारी लॉकडाउन के बीच गौतम नवलखा ने दिल्ली में एनआईए कार्यालय में जाकर आत्मसमर्पण किया है। बता दें कि गौतम नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी और कोरोना महामारी को देखते हुए समय मांगा था। लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। नवलखा पर Unlawful Activities Prevention Act (UAPA) के तहत भीमा-कोरोगांव हिंसा मामले में आरोपी बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को सरेंडर करने के लिए कहा था।

1 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरोगांव में हिंसा भड़की थी। इसके बाद गौतम नवलखा समेत पांच अन्य कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में बम्बई हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिकाओं की सुनवाई करते हुए गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।

हाईकोर्ट की ओर से उनकी याचिकाओं को खारिज किए जाने के बाद इन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। 16 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था और तीन सप्ताह के भीतर उन्हें सरेंडर करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को इन दोनों को सरेंडर करने के लिए एक और सप्ताह का समय दिया था।

गौतम नवलखा पर पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने आरोप लगाया था कि उनके माओवादियों से संबंध हैं और वो सरकार के विरुद्ध काम कर रहे हैं।

इस मामले में और भी कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इन लोगों पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया था। सुधा भारद्वाज, वारवरा राव,अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसालवेस को इस मामले में आरोपी बनाया गया था।

एक जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव गांव में जातिगत हिंसा को भड़काने में कथित भूमिका के लिए कार्यकर्ताओं को अगस्त 2018 में विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया गया था।