केरल की 27 वर्षीय एक छात्रा ने आरोप लगाया कि उसके परिवार वालों ने उसको जबरन मानसिक रोग अस्पताल में भर्ती करा दिया था। उसका कहना है कि वह जिस युवक से शादी करना चाहती है उससे परिवार वाले रोकना चाहते हैं। पिछले एक महीने में उसे दो बार मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया। युवक के बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर केरल हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसे मुक्त किया गया। कोर्ट ने कहा कि वह शादी के लिए स्वतंत्र है। यह भी निर्देश दिया है कि उसके परिवार वालों के खिलाफ के केस दर्ज किया जाए। परिजनों ने कथित रूप से डॉक्टरों से कहा कि वह पागल हो गई है और खुदकुशी जैसी हरकत कर रही है।

छात्रा कर रही बीडीएस कोर्स : वह बीडीएस कोर्स कर रही है और युवक व्यापारी है। उनका परिवार कथित तौर पर दोनों के सोशल स्टेटस में अंतर की वजह से शादी के खिलाफ है। छात्रा ने आरोप लगाया कि उसके परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में तीन नवंबर को दवा देने के बाद तीन लोग उसे घर से ले गए। उसने बताया, “जब मुझे होश आया, तो मैंने खुद को अस्पताल के बिस्तर से बंधा पाया। खुद को मानसिक रोगियों के बीच देखकर मैं हैरान थी।”

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अस्पताल में बताया गया कि वह खुदकुशी जैसी हरकत कर रही :उसके परिवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बारे में जब पता चला तो वे उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती करा दिए। अस्पताल के प्रशासक ने कहा, “उसे यहां उसके भाई और पिता लेकर आए थे। उन लोगों ने कहा था कि वह खुदकुशी जैसी हरकत कर रही है। अस्पताल में इसी का इलाज चल रहा था। ”

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सोशल स्टेटस को लेकर पहले भी विवाद हुए हैं  : सोशल स्टेटस को लेकर शादी से रोकने के पहले भी कई मामले आए हैं। समाज में इस तरह के प्रतिबंध से कई बार विवाद की स्थितियां बनती रही हैं। इसके अलावा जाति को लेकर भी कई बार भेदभाव किए जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हालांकि अब समाज में ऐसे भेदभाव को लेकर लोगों में जागरूकता भी आई है।