बनारस यानी वाराणसी अपनी अलौकिकता, मंदिरों, विश्वविद्यालयों के कारण तो जाना ही गया, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे; जिन्होंने अपराध की दुनिया में भी इसी वाराणसी की पहचान के साथ दस्तक दी। 1968 के साल में यहीं पैदा हुआ एक लड़का पहले कुख्यात अपहरणकर्ता बना फिर कुछ ही दिनों में अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया। नाम था आफताब अंसारी।
वाराणसी के लल्लापुरा में साल 1968 में आफताब अंसारी का जन्म हुआ। परिवार में मां के अलावा एक बड़ा भाई और चार छोटी बहनें थी। बड़ा भाई अनवर अहमद काम के हिसाब से अलग-अलग पेशे में रहता। कभी वकील बनकर केस लड़ता तो कभी पार्ट टाइम पत्रकार रौब जमाता। लेकिन आफ़ताब को एक दिन पता चल गया कि उसका बड़ा भाई इन दोनों पेशों के सहारे कुछ गैरकानूनी काम भी कर रहा है।
ऐसे में जब आफताब बड़ा हुआ तो सोचा अगर धौंस और रुतबे में रहना है तो बड़े भाई की तरह बनना पड़ेगा, लेकिन उसे फुल टाइम पत्रकार बनना था। फिर क्या स्कूल की पढ़ाई पूरी की, बीएचयू से ग्रेजुएशन किया और पत्रकारिता के कोर्स में एडमिशन ले लिया। इसी दौरान एक दिन किसी बात पर आफताब के बड़े भाई ने उसे वाराणसी के कुख्यात शूटर दिनेश ठाकुर की कहानी बताई। पत्रकारिता की पढ़ाई के ही दौरान वह दिनेश ठाकुर से मिला और फिर उसकी दुनिया बदल गई।
अब आफताब ने दिनेश को गुरु बनाकर ज्ञान लेना शुरू कर दिया और जुर्म की दुनिया में नए – नए कारनामे करने लगा। ऐसे में उसने अपहरण का रास्ता चुना और निशाने पर अमीर घराने के लोगों को रखा। लेकिन कुछ सालों बाद ही 1995 में दिनेश ठाकुर को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उत्तर पश्चिम मॉडल टाउन इलाके में हुई एक खूनी मुठभेड़ में मारा गिराया और इस कुख्यात किडनैपिंग किंग को भी धर दबोचा। लेकिन तब तक आफताब सीख चुका था कि, इस दुनिया में जीना कैसे है?
आफताब जब तिहाड़ जेल गया तो वहां उसकी मुलाकात मौलाना मसूद अजहर और आसिफ रजा जैसे आतंकवादियों से हुई, जिन्हें बाद में कंधार विमान हाइजैक (1999) मामले में छोड़ा गया था। कुल सालों बाद 1998 में आफताब बाहर आया तो वह दुबई निकल गया और अंडरवर्ल्ड की दुनिया में जा पहुंचा। यहां वह ओमर शेख जैसे आतंकवादी के साथ लगा रहा और मसूद अजहर से भी संपर्क में रहा।
जब 19 जनवरी 2002 को कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हमला हुआ तो शक की सुई आतंक के आकाओं के साथ आफताब अंसारी की तरफ भी घूमी। उधर अमेरिका बौखला गया था कि आखिर इस आतंकी के पीछे कौन है? लीड मिली कि पाकिस्तान के आकाओं के इशारे पर आफताब इसमें शामिल है। थोड़े दिन की जांच पड़ताल के बाद पता चला कि अंसारी दुबई में धर लिया गया है।
तत्कालीन भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद जांच एजेंसियों ने कदम उठाया और आफताब अंसारी को दुबई से भारत लाने की तैयारी शुरू हो गई। इसके बाद 10 फरवरी 2002 को आफताब को उसके गुर्गे राजेंद्र अनडकट के साथ सीबीआई भारत ले आई। देश वापस आने पर उसके पुराने केस भी खुल गए और अब वह कोलकाता के अमेरिकन सेंटर हमले के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।