हिमाचल प्रदेश में मंडी-कुल्लू वाया कटौला आइआइटी मंडी मार्ग पर एक कार के गहरी खाई में जा लुढ़कने से उसमें सवार पिता-पुत्र सहित दिल्ली के तीन लोगों की मौत हो गई।
पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया हादसा रविवार सुबह करीब छह बजे हुआ जब उनकी टाटा टिएगो कार मंडी से कुल्लू जाते वैकल्पिक मार्ग वाया आइआइटी कमांद मंडी पर जिला से करीब 28 किलोमीटर दूर मरोगी के पास अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। कार में तीन लोग सवार थे जिनकी मौके पर ही मौत हो गई।
हादसे में जान गंवाने वाले पीड़ितों की पहचान हरवीन संधू (34), रमेश चंद्र (49) और योगेश की रूप में हुई है। हरवीन, पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर के जैन कॉलोनी, वार्ड नंबर-3 के रहने वाले थे जबकि रमेश और उनके बेटे योगेश दक्षिणी दिल्ली में छतरपुर के पास बड़ी मस्जिद के रहने वाले थे।
मिली जानकारी के मुताबिक, इन लोगों ने कुल्लू बस अड्डे के निर्माण का ठेका ले रखा था और उसी सिलसिले में ये लोग वहां गए थे।
दिल्ली लौटने के दौरान यह हादसा हो गया। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से सभी कार सवारों को वहां खाई से निकाला जिसके बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। पुलिस के मुताबिक, परिजनों को इस बाबत सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पिता और पुत्र संभाल रहे थे कारोबार, परिवार में कोहराम
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में रविवार को खाई में गाड़ी गिरने से जान गंवाने वाले पिता रमेश चंद और पुत्र योगेश छतरपुर के रहने वाले थे। दोनों मिलकर मार्बल का कारोबार संभाल रहे थे। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आइएसबीटी (बस अड्डा) में निर्माण का उन्होंने ठेका लिया हुआ था। वह कुल्लू से लौट रहे थे।
पिता पुत्र की मौत के बाद उनके परिवार में एक बेटी और बेटा है जो पढ़ाई कर रहे हैं। एक बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। रमेश चंद की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। हादसे में जान गंवाने वाले उनके कार चालक हरवीन संधू उत्तम नगर पश्चिमी दिल्ली के जैन कॉलोनी के रहने वाले थे। रविवार सुबह घटना की सूचना मिलते ही मृतकों के परिजन हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हो गए।
पिता-पुत्र की मौत की सूचना मिलने के बाद से पूरे इलाके में मातम का माहौल था। आस पड़ोस के लोग उनके घर के बाहर पहुंचने लगे थे। वह इस स्थिति में नहीं थे कि किसी से बात कर सकें। बातचीत की कोशिश के दौरान रिश्तेदारों का कहना था कि सब कुछ खत्म हो गया है। वह इस दुखद घटना को लेकर कुछ नहीं कह पाएंगे।
रमेश चंद के पड़ोसी दीपक ने बताया कि वह मार्बल पत्थर लगाने और घिसाई का काम करते थे। योगेश पढ़ाई के बाद पिता के पेशे में मदद करवाता था। पड़ोसियों ने कहा कि यह परिवार काफी मिलनसार है। रमेश चंद जब भी घर से बाहर निकलते लोगों से उनका हालचाल जानते। वह लोगों के बीच काफी विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे। पर इस घटना की वजह से यह परिवार पूरी तरह से बिखर गया है। अपने बेटे योगेश और चालक हरवीन के साथ रमेश चंद शनिवार शाम को दिल्ली से कुल्लू के लिए रवाना हुए थे।