कभी आपने सोचा है कि किसी के नाना सेना में ब्रिगेडियर, दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हों और उनका पोता नामी माफिया बन जाए। लेकिन आज हम उसे यूपी के सबसे बड़े बाहुबली मुख्तार अंसारी के नाम से जानते हैं। हालांकि उसके सितारे आजकल गर्दिश में हैं और वह यूपी की बांदा जेल में बंद है।
सियासी अदावतों के साथ पला बढ़ा मुख्तार अंसारी आज जेल में हैं लेकिन एक समय था जब पूर्वांचल में उसका सिक्का चलता था। मुख्तार की उम्र के साथ उसका नाम सिर्फ और सिर्फ जुर्म के कारण बड़ा हुआ। 80 के दशक में जुर्म की दुनिया में एंट्री लेने के बाद शुरुआत एक स्थानीय गिरोह से की लेकिन थोड़े दिन बाद ही उसने अपनी गैंग बना ली। इसके बाद ठेकों सहित कई गैरकानूनी धंधों को लेकर बृजेश सिंह से रार पैदा हुई तो नौबत गैंगवार तक पहुँच गई।
गैरकानूनी धंधों, अवैध शराब के ठेकों और खनन के काम के ही बीच मुख्तार को लगा कि राजनीति में आना चाहिए। इसलिए साल 1996 में उसने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुँच गया। इसके बाद 2002 से 2017 तक हर विधानसभा चुनावों में लगातार मउ सीट से जीतता रहा। खास बात यह कि 2007, 2012 और 2017 के चुनाव मुख्तार ने जेल के अंदर बंद रहते हुए ही जीते।
मुख्तार की जिंदगी में साल 2002 बड़ा ही महत्वपूर्ण रहा, जब उस पर गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप लगा। इस मामलें ने बड़ा तूल पकड़ा और जांच सीबीआई को दे दी गई लेकिन केस में गवाहों के मुकर जाने के बाद इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका।
मुख्तार पर यूपी में 50 से ज्यादा केस दर्ज हैं लेकिन यूपी में योगी सरकार आने के बाद से मुख्तार और उसके गुर्गों की शामत सी आ गई। योगी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए। इसी क्रम में मुख्तार और उसके साथियों की 150 करोड़ से अधिक संपत्तियों को या तो ढहा दिया गया या फिर उन्हें सरकार ने जब्त कर लिया।
मुख्तार एक बिल्डर से रंगदारी के मामले में कुछ दिन पंजाब की जेल में बंद रहा। इसके बाद यूपी सरकार, मुख्तार को प्रदेश लाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई और फिर उसे यूपी लाकर यहां की बांदा जेल में रखा गया है।