प्रगति या विकास राष्ट्र के नागरिकों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह काम करते हैं और क्या सोचते हैं, उनकी मानसिकता क्या है और वे अपने देश के लिए कितने समर्पित हैं। आज के बच्चे कल के जिम्मेदार नागरिक हैं। भारत प्रगति करे, यह हमारा कर्तव्य है। अगर बच्चों को अच्छी तरह से पाला जाए, तो राष्ट्र बहुत जल्द ही समृद्ध और सशक्त हो जाएगा। कई विकसित देश इसे केंद्र में रखते हैं। वे अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं, क्योंकि हर बच्चे को बेहद सावधानी के साथ पाला जाता है और उसके कौशल के अनुसार शिक्षा दी जा रही है।

दूसरी ओर, हमारे देश में करोड़ों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसका परिणाम गंभीर स्वास्थ्य के मुद्दों, विकास में वृद्धि, आंखों की रोशनी कमजोर होना, दिल की बीमारियां होना आदि हैं। स्थिति में सुधार के लिए सरकार प्रयास कर रही है। हम आंगनबाड़ी, मिड-डे मील के माध्यम से कुछ सफलता देख रहे हैं, लेकिन मंजिल अभी दूर है। स्थिति को नियंत्रित करने में समय लगेगा। कई क्षेत्रों में हमारा मानव संसाधन बहुत अच्छी स्थिति में है, जैसे कि सेवा क्षेत्र, आइटी, जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल आदि। कृषि क्षेत्र में जैविक उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। यह एक बहुत अच्छा संकेत है। इससे बच्चों को उचित पोषण मिलेगा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

अठारहवीं शताब्दी में अंग्रेज इस बात से गुमान में थे कि वे दुनिया में नंबर एक हैं। इस सोच से वे आलसी हो गए। उस समय के एक लेखक ने चिंता में लिखा- ‘हे अंग्रेजों, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप नंबर एक हैं, लेकिन इतने आत्ममुग्ध मत बनें, अन्यथा आप पीछे रह जाएंगे।’ निष्कर्ष यह है कि हमें अभी यह समझने की आवश्यकता है कि प्रगति के लिए और प्रयास अपेक्षित है। हमें बच्चों को अच्छी तरह से पालना चाहिए, उनको मां के गर्भ से लेकर बड़े होने तक उचित पोषण मिले, अच्छी शिक्षा मिले तभी उनके कंधे सच्चाई का सामना करने और मजबूत फैसले लेने के लिए मजबूत बनेंगे।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र