आज किसानों का मुहृा देश में सर्वोपरि है। पिछले आठ महीनों से दिल्ली की सीमा पर बैठे हमारे अन्नदाता ने जिस संयम का परिचय दिया है, वह काबिलेतारीफ है। आंदोलन ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया और सबको दिखा दिया कि बिना किसी चर्चित चेहरे के ही अपने बूते अपने हक के लिए संघर्ष कर सकते हैं। आंदोलन पहले भी होते थे और अब भी होते हैं, बस फर्क इतना है कि पहले उनकी ओर जिस सम्मान से देखा जाता था, वह अब नहीं रहा। किसानों के प्रति कुछ नकारात्मक टिप्पणियां आ जाती हैं।

जबकि किसानों ने सिर्फ अपने संवैधानिक और मानवीय हक के लिए आंदोलन ठाना है। वे अपनी खेती को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे इसलिए लड़ रहे हैं, ताकि गरीब और आम लोगों की थाली खाली न रहे। लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत नहीं आए। बाजार में खाने-पीने के सामानों की कीमतों पर निजी खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि सरकार और किसानों का नियंत्रण रहे। लेकिन इन सब पर गौर करने के बजाय अन्नदाता को दुष्प्रचार के जरिए हराने की कोशिश की जा रही है। लेकिन सकारात्मक पहलू यह है कि अब हमारा किसान एक बुद्धिजीवी कि भूमिका भी निभा रहा है और झूठे वादों के झांसे में आने के मिजाज में नहीं दिख रहा है। हमारा किसान वर्ग जो देश की आधी से अधिक आबादी है, अब एक सशक्त वर्ग का निर्माण कर रहा है।
’मानू प्रताप मीना, लखनऊ, उप्र

छिपे सितारे

विज्ञान और आधुनिकता के इस जमाने में आजकल सोशल मीडिया की ताकत से सभी लोग वाकिफ हैं। दो साल पहले पश्चिम बंगाल के रानू मंडल नाम की एक महिला अपने गाए गीतों की वजह से सोशल मीडिया में चर्चित हो गई थी और हिमेश रेशमिया जैसे संगीतकार ने उनका जीवन बदल दिया था। वैसे ही हाल ही में सहदेव दर्दो नाम के एक आदिवासी लड़के का दो साल पहले गाए गए एक गीत ने उसकी किस्मत बदल दी। दरअसल सोशल मीडिया में रातों-रात किसी को जगमगाता सितारा बना देता है और इसी की वजह से सहदेव आज बॉलीवुड के गायक बादशाह जैसे बड़े सितारों के साथ देखने को मिल रहे हैं। सुर्खियों में आए उस गीत का नाम है ‘बचपन का प्यार’। इसी की वजह से एक गरीब घर के लड़के एक पहचान मिली और साथ में रातोंरात सोशल मीडिया की ताकत से उनकी जिंदगी आश्चर्यजनक रूप से बदल गई। अब भविष्य में गीत और संगीत की दुनिया में उनकी जरूरत कितनी होगी, यह अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि सोशल मीडिया किसी व्यक्ति की प्रतिभा से दुनिया का परिचय करा सकता है।
’चंदन कुमार नाथ, गुवाहाटी, असम</p>