‘कारोबारी छलांग’ (संपादकीय, 25 मार्च) पढ़ा। यह चालू वित्तीय वर्ष में 400 अरब डालर के निर्यात के आयात के मुकाबले में ज्यादा होने पर भविष्य में इसी रफ्तार को बनाए रखने की आशा करने वाला था! अमेरिका और चीन को छोड़ कर संसार के लगभग सभी देशों को विदेशी व्यापार में घाटे का सामना करना पड़ा है। ऐसे समय में भारत के निर्यात का आयात के मुकाबले में बढ़ना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहवर्धक समझा जाना चाहिए। लेकिन हमें इस उपलब्धि के मद्देनजर हाथ पर हाथ रख कर बैठ नहीं जाना चाहिए।

भारत का व्यापार शेष तथा भुगतान शेष विश्व के बहुत सारे देशों के साथ प्रतिकूल है, जिससे हमारे देश की बहुत सारी पूंजी विदेशों में चली जाती है। इसे कम करने का तरीका यही है कि हमें यथासंभव ऐसे क्षेत्रों की तलाश करनी चाहिए, जहां हम अपने निर्यात बढ़ा सकें और इसके बदले में हमें आयात प्रतिस्थापन पर जोर लगा कर अपने आयात बिल को कम करना चाहिए।

भारत का व्यापार शेष चीन, रूस, अमेरिका आदि देशों के साथ प्रतिकूल है! हमें अपने देश में लघु, कुटीर तथा कृषि आधारित लघु उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। अन्य उद्योगों को भी बढ़ावा देना चाहिए। हमारे देश के निर्यात में वृद्धि तभी संभव है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारी वस्तुओं की गुणवत्ता और देशों के मुकाबले बेहतर हो, कीमतें कम हों और हम खरीदने वालों की शर्तों को पूरा कर सकें।

रूस तथा यूक्रेन में चल रहे युद्ध के मद्देनजर हमारे विदेशी व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, इस बात को भी हमें जरूर ध्यान में रखकर यथासंभव निर्यात में वृद्धि करते रहने की कोशिश करनी चाहिए। हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि रूस तथा यूक्रेन में चल रहे युद्ध के मद्देनजर भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ अमेरिका और नाटो देशों को समर्थन न देने के कारण भारत को भी इसका खमियाजा न भुगतना पड़े, वरना भारत के विदेशी व्यापार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ने के कारण देश के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा

अंधविश्वास का जाल

हाल ही में हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में एक तांत्रिक ने दो लड़कियों से बलात्कार किया। इन लड़कियों के परिवारजन किसी बीमारी का इलाज करवाने के लिए लड़कियों को तांत्रिक के पास लेकर गए थे। सोचने वाली बात यह है कि पहले भी ऐसी खबरें सामने आती रही हैं, मगर फिर भी लोग अंधविश्वास के झांसे में क्यों फंस जाते हैं! हमारे देश में बहुत से लोग अंधविश्वास में पड़ कर अपना बहुत-सा कीमती समय, अपनी दिन रात मेहनत की कमाई को धन-दौलत, जान और यहां तक कुछ पांखडियों के चक्कर में पड़ कर अपनी इज्जत भी गंवा देते हैं। कुछ लोग बिना मेहनत के कामयाबी पाने के लिए तो कुछ किसी बीमारी के इलाज के लिए इन अंधविश्वासों के चक्कर में पड़ जाते हैं।

आज इंसान विकास के नए मार्ग पर तेज दौड़ रहा है। लेकिन आज भी हमारे देश में बहुत से लोगों की मानसिकता अंधविश्वास की बेड़ियों से जकड़ी हुई है। इस कारण लोग कई बार अपना बहुत भारी नुकसान भी उठा लेते हैं, लेकिन हम नहीं सुधरते और अंधविश्वास के दलदल में धंसते जाते हैं। आज बहुत से ऐसे समाचार सुनने को मिलते हैं जिसमें एक छोटा-सा काम करने वाला कोई व्यक्ति लोगों को अंधविश्वास के जाल में फंसाकर मालदार बन जाता है। जब तक लोगों के अंदर अंधविश्वास फलता-फूलता रहेगा, तब तक पाखंडियों का धंधा भी चलता रहेगा।
राजेश कुमार चौहान, जलंधर, पंजाब</p>