‘नशे का जाल’ (संपादकीय, 25 सितंबर) पढ़ा। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत/ आत्महत्या के संबंध में सीबीआइ द्वारा शुरू की गई जांच ने एक नए पक्ष को उजागर किया है, जो पिछले कई हफ्तों से मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह माना जा रहा है कि बॉलीवुड के ड्रग-माफिया का सुशांत के निधन से किसी न किसी प्रकार का जुड़ाव या सांठगांठ है। कई शीर्ष जांच एजेंसियों द्वारा जांच जारी है और आशा की जानी चाहिए कि सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।
यहां इस बात का उल्लेख अनुचित नहीं होगा कि ड्रग्स की लत हमारी जीवन-शैली में तेजी से बढ़ रही है। चाहे अमीर देश हों या गरीब देश, दोनों में यह लत समान रूप से घर कर चुकी है। मनोचिकित्सकों का मानना है कि जब आप लंबे समय तक इस तरह के मादक-पदार्थों का सेवन करते रहेंगे, तो यह सेवन व्यक्ति के व्यवहार-संबंधी रवैये, उसके मस्तिष्क से जुड़ी रासायनिक-प्रणालियों और निर्णय लेने की क्षमताओं में बदलाव का कारण बन जाता है। नतीजतन, शरीर के ये विकार व्यक्ति की विवेक-शक्ति के साथ-साथ उसकी स्मरण-शक्ति और सकारात्मक सोच पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
संक्षेप में, नशीली दवाओं का सेवन हमारे समाज पर एक कलंक है। इनका सेवन बहुत सारे सामाजिक और नैतिक विकारों को जन्म देता है। यह कहना अनुचित न होगा कि आमतौर पर इन लुभावने ड्रग्स के प्रभाव के कारण व्यक्ति अपराध की दुनिया में पैर रखता है और फिर सजा का भागीदार बनता है।
’शिबन कृष्ण रैणा, अलवर, राजस्थान</p>