देश की सर्वोच्च अदालत ने बहुत ही ऐतिहासिक व्यवस्था दी है जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रत्येक थाने में सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य होगा। इन एजेंसियों द्वारा प्रताड़डित करने की बातें सामने आने के बाद यह जरूरी भी हो गया था। पुलिस थानों में तो लोगों को शारीरिक यातनाएं देना आए दिन की बात हैं।

हिरासत में होने वाली मौतों का आंकड़ा कोई मामूली नहीं है। ऐसे में सर्वोच्च अदालत का यह फैसला महत्त्वपूर्ण है। ऐसी अमानवीय घटनाओं को रोकने के लिए अब जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को पूरी तरह से लागू करें और जांच एजेंसियों व थानों में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं, तभी थानों में उत्पीड़न की घटनाएं रुक पाएंगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है प्रत्येक थाने में सीसीटी कैमरे हो और उनकी दो महीने की रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाए। साथ ही थाना अध्यक्ष की पूर्ण रूप से इस बात की जिम्मेदारी होगी कि वह सीसीटी कैमरे को सुचारू रूप से जारी रखें ताकि किसी को भी गिरफ्तार करने और लाने पर वह सीसीटी कैमरे में थाने में मौजूद रहे।

अक्सर देखा गया है कि इस तरह के मामलों में पुलिस इस प्रकार की लापरवाही बरतती है कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी दिन अगर बार-बार अगर थाने में बुलाया जाता है तो किसी तरह की कोई रिकॉर्डिंग नहीं होती थी। ऐसे में किसी अनहोनी की सूरत में पीड़ित पक्ष के सबूत कमजोर पड़ जाते हैं और पुलिस बच निकलती है।
’विजय कुमार धनिया, दिल्ली</p>

मास्क तो जरूरी है

ब्रिटेन पहला देश बन गया है जहां जल्द ही लोगों को कोरोना का टीका लगना शुरू हो जाएगा। पर सवाल है कि क्या इसके बाद दुनिया इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएगी कि अब कोरोना से मुक्ति मिल गई है? क्योंकि जिस कंपनी के टीका का अनुमोदन दिया गया है, वही कह रही है की इस टीकेे का असर एक सौ दस दिन का है।

इस दरमियान और उसके बाद भी यह गारंटी नहीं है कि कोरोना का विषाणु हमला नहीं करेगा। इतना है प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाने से जान नहीं जाएगी। मगर मरीज को उसी तरह एकांत वास में रहना होगा। याद कीजिए जब खसरा, चेचक, पोलियो और क्षय रोगों के लिए टीके विकास करने में वैज्ञानिकों को वर्षो का समय लगा था।

कोविड के लिए सिर्फ दस महीना? कहीं हड़बड़ी में गड़बड़ी तो नहीं हो रहा है? इसलिए टीका आ जाने के बावजूद मास्क और सुरक्षित दूरी को दिनचर्या का अंग बना लेना ही श्रेयस्कर होगा।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर