‘खेल की खुमारी’ (संपादकीय, 30 जुलाई) पढ़ा। कोविड-19 महामारी ने पिछले डेढ़ वर्ष से हमारी शिक्षा संस्थाएं और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। सवाल यह है कि लंबे समय से स्कूल और कॉलेज या विभिन्न शिक्षा संस्थाएं सब बंद हैं, आॅनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है, तो क्या उसमें सब कुछ सही हो गया है! आज स्मार्टफोन सभी के लिए अनिवार्य हो गया है। ऐसे में प्राथमिक स्तर से लेकर सीनियर सेकेंडरी और विभिन्न शिक्षा संस्थाओं में बच्चों को जिस प्रकार से शिक्षा प्रदान की जा रही है, वह विचारणीय है। बच्चे अधिक से अधिक फोन में लगे रहते हैं। चूंकि फिलहाल तर्क शिक्षा ग्रहण करने का है, इसिलए उनका मोबाइल फोन में व्यस्त रहना सही माना जाएगा। लेकिन ऐसे ही बच्चे आज स्मार्टफोन में विभिन्न तरह के गेम भी खेलते हैं। समस्या यह हो गई है कि इससे बहुत सारे बच्चों की आदतों में काफी परिवर्तन आ गया है।
कभी हमारे खेल के मैदान और स्कूल कॉलेजों में जब बच्चे जाते थे तो उनकी गतिविधियां विभिन्न प्रकार से होती थीं, लेकिन जब लंबे समय से स्कूल-कॉलेज बंद है तो वे अब भी अपने घर में ही इस प्रकार से शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाध्य हो रहे हैं। अव्वल तो इस रास्ते कैसी शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। फिर महामारी के कारण विभिन्न तरह की परेशानियां कायम हैं। इस प्रकार की व्यवस्था में बच्चे जिस तरह से गेम खेल रहे हैं। इससे न सिर्फ बच्चों के दिमाग पर, बल्कि उनकी शारिरिक सेहत पर भी विभिन्न प्रकार से प्रभाव पड़ रहा है। सरकार को इस विषय पर ध्यान देना होगा। टीके की मात्रा बढ़ानी होगी। खासतौर यह सब कुछ पर संपूर्ण रूप से इस बात का, विशेष रूप से शिक्षा संस्थाओं के अलावा माता-पिता अभिभावकों को भी देखना होगा इस प्रकार से विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाला है। इन सभी बातों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, अगर ग्रामीण इलाकों में छिपी प्रतिभाओं को खोज कर उन्हें उचित प्रशिक्षण और सुविधा जी जाए तो वे न केवल अपने लिए जगह बनाएंगे, बल्कि देश का नाम भी रोशन करेंगे।
’विजय कुमार धनिया, नई दिल्ली</p>