स्थिति ऐसी बन रही है कि अध्ययन के प्रति छात्रों की रुचि कम हो रही है, क्योंकि परीक्षाओं का महत्त्व पहले की अपेक्षा कम हो रहा है। बचा-खुचा माहौल कोचिंग कक्षाओं ने बिगाड़ रखा है। इस स्थिति का प्रमाण है कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा में उपस्थिति बहुत कम हो रही है। राज्य और केंद्रीय बोर्ड की परीक्षाओं में कोई छात्र फेल नहीं होगा- जैसी घोषणाओं से तो माहौल में फिलहाल सुधार की गुंजाइश कम ही है।
’बीएल शर्मा “अकिंचन”, तराना, उज्जैन

मुश्किल में पुतिन

क्रेमलिन के आलोचक एलेक्सी नवेलनी का जहर का असर से बच जाना शायद रुसी तानाशाह पुतिन के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। जबसे नवेलनी अपना इलाज कराके वापस देश लौटे हैं, तबसे दुनिया भर की नजरें रूस पर टिकी हैं, क्योंकि जर्मनी से लौटते ही नवेलनी को गिरफ्तार कर लिया गया, उन पर झूठे मुकदमे कर दिए गए, पुतिन के खिलाफ रुसी जनता का सड़कों पर उतर आई।

इसके साथ ही काले सागर में पुतिन का आलीशान महल सोशल मीडिया में वायरल हो गया। उसके बाद रूस ने यूरोपीय संघ के तीन महत्त्वपूर्ण देशों- जर्मनी, पोलैंड और स्वीडन के राजनयिकों को देश से निकाल दिया। इन प्रतिक्रियाओं से अब सत्ताईस देशों का समूह एकजुटता के साथ मास्को को जवाब देगा। बहुत संभव है कि उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध भी लग जाएं। प्रतिबंधों का दायरा यूरोप से बाहर भी जा सकता है। ऐसे में पुतिन की मुश्किलें बढ़ना लाजिमी है।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

चक्का जाम अनुचित

नए बजट में सरकार ने कृषि क्षेत्र में बजट आवंटन बढ़ाने के साथ कृषि के विकास में उत्तरोत्तर प्रगति करने और खेती-किसानी से जुड़े मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर शुरू हुई चर्चा में विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों पर विरोध और अपने तर्क रख कर सरकार को घेरने की कोशिश की है।

किंतु प्रधानमंत्री द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि किसानों की जमीन को कोई भी नहीं छीन सकता है, यह सही अर्थों में सच्चे किसानों को तो समझ आने लगा है। किंतु किसानों के तथाकथित शुभचिंतक बने किसान संगठनों के एक वर्ग ने समूचे देश में जो चक्का जाम किया, उसे उचित नहीं कहा जा सकता। इससे अराजकता बढती है, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, आमजन और किसान का भी नुकसान होता है।
’युगल किशोर शर्मा, खांबी, फरीदाबाद