रूस ने समय से बीस दिन पहले ही उस परिवहन समझौते से खुद को अलग कर लेना नई और खास घटना है, जिसके तहत काला सागर का समुद्री मार्ग से यूक्रेन का अनाज तीसरे विश्व के देशों में निर्बाध रूप से भेजा जा रहा था।
रूस, यूक्रेन, संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के मध्यस्थता के बीच विगत बाईस जुलाई को इस्तांबुल में यह समझौता हस्ताक्षरित किया गया था। आगामी उन्नीस नवंबर तक के लिए,यह समझौता किया गया था। मगर रूस का अचानक इससे अलग हटना यह संकेत है कि रूस इस युद्ध से अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
अफ्रीका और एशिया के कई गरीब देशों में खाद्यान्न संकट के कारण यह समझौता कई लोगों के लिए जीवन रेखा के रूप में साबित हुआ है। अक्तूबर के अंत तक 400 से अधिक यात्राओं ने लगभग 9.5 मिलियन टन अनाज और अन्य खाद्य उत्पादों को लेकर यूक्रेनी बंदरगाहों को सफलतापूर्वक गंतव्य देशों तक अनाज को जरूरतमंद देशों तक पहुंचाया गया है। अब रूसी अड़ंगा के कारण उन क्षेत्रों को वापस अनाज संकट से जूझना पड़ेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के इस कथन पर गौर किया जा सकता है कि इस व्यवस्था को निलंबित करके रूस फिर से शुरू हुए युद्ध में भोजन को हथियार बना रहा है। सीधे निम्न और मध्यम आय वाले देशों और वैश्विक खाद्य कीमतों को प्रभावित कर रहा है और पहले से ही गंभीर मानवीय संकट और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहा है।
- जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर