मानव समाज की प्रगति में शिक्षा, साक्षरता और अनुसंधान का बहुत योगदान रहा है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं, जैसे घरेलू गैस, माचिस, स्मार्टफोन, मोटरसाइकिल हो या बड़े से बड़े अंतरिक्ष कार्यक्रम, सभी वैज्ञानिक अनुसंधान का ही परिणाम है। समाज के डिजिटलीकरण के इस दौर में समकालीन जरूरतों को केंद्र्र में रख कर नई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति तैयार की गई है। 1968 तथा 1986 के बाद हाल ही में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति व्यवसाय अध्ययन के अवसर प्रदान करेगी।
पुरानी शिक्षा नीति लोगों को साक्षर बनाने और उन्हें नौकरी दिलाने में सहायता करती थी। नई शिक्षा नीति नवाचार पर आधारित है, जो अनुसंधान पर बल देती है। इसके तहत विभिन्न भाषा अवरोधों को खत्म करके बहुभाषावाद को बढ़ावा मिलेगा। पाठ्यक्रम को लचीला बनाने के साथ-साथ विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुसार आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी।
फलस्वरूप सामाजिक न्याय एवं समानता गढ़ने में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान हो पाएगा। कौशल आधारित शिक्षा पर बल देने से ऐसी पीढ़ी तैयार होगी जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करेगी। विनिर्माण इकाइयों की मजबूती से राष्ट्रीय कंपनियों का भरोसा भारत पर बढ़ेगा और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती मिलेगी। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन जैसे कदमों की वजह से भारत को आत्मनिर्भर बनने में काफी सहायता मिलेगी। नई शिक्षा नीति जवाबदेही पर आधारित है जो नई मूल्यांकन प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थी के बहुआयामी विकास से युक्त चरित्र निर्माण पर भी देगी।
’अजय जोशी अरणाय, जालोर, राजस्थान</p>