हाल ही मे संपन्न हुए तोक्यो ओलंपिक का समापन भव्य और शानदार तरीके से हुआ। इस बार का यह ओलंपिक भारत के लिए खास उपलब्धियों भरा रहा। पदक विजेता शूरवीर खिलाड़ी वतन लौट आए हैं। पंद्रह अगस्त के दिन भारत के पचहत्तर वर्ष पूरे होने वाले ‘आजादी के जश्न’ में शामिल होने के लिए सभी खिलाड़ियों को विशेष निमंत्रण दिया गया है।

उनके अपने राज्य की सरकारों के साथ अन्य कई संगठनों और सरकारी विभागों द्वारा उन्हें अन्य पुरस्कारों के साथ नकद पुरस्कार दिए जाने की घोषणाएं रोजाना हो रही हैं। उन्हें मिलने वाली मोटी रकम की राशि सुन कर कुछ लोगों की नींद उड़ी हुई है। वे मांग कर रहे हैं कि इनाम के रूप मे राशि पाने खिलाड़ियों को उस राशि का उपयोग अपने खेल और क्षेत्र विशेष में खेल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए करना चाहिए। खेल-स्पर्धा में किसी भी खिलाड़ी को उसकी व्यक्तिगत योग्यता, मेहनत और लगन से ही पदक अथवा घोषित इनाम मिलता है।

एकल स्पर्धाओं मे खिलाड़ी विशेष की, तो टीम इवेंट मे पूरी टीम की भागीदारी होती है। स्पर्धा शुरू होने के कई दिनों पहले से वे इन की कड़ी तैयारियों मे जुटे होते हैं। जिस प्रकार अर्जुन को लक्ष्य भेदने के लिए केवल मछली की आंख ही दिखाई देती है, उसी प्रकार इन खिलाड़ियों को भी लगन के साथ अपने खेल के दम पर पदक जीतने की ही अभिलाषा होती है। पदक पाने पर मिलने वाली नकद पुरस्कार राशि पर उनका हक है। वे उसे किस तरह खर्च करें, खेलों के विकास के लिए करें या किसी अन्य काम में, इसकी आजादी उन्हें होनी चाहिए।
’नरेश कानूनगो, बंगलुरु, कर्नाटक