पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान भारत में अशांति फैलाने के लिए ज्यादा उतावला दिखाई दे रहा है। सीमा पर वह लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रहा है तो समुद्री रास्ते से भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में है।

यह अच्छा हुआ कि अरब सागर में भारतीय तटरक्षक बल की ओर से नापाक इरादा लिए घुसी नौका को घेर लिया गया जिसके बाद नौका में सवार लोगों ने विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। इस नौका में सवार लोगों की बातचीत से यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि उनका इरादा लगभग उन्हीं तौर तरीकों से भारत में एक बड़ी वारदात को अंजाम देने का था जैसे 26 नवंबर को मुंबई में किया गया था। उस समय भी दस पाकिस्तानी आतंकवादी एक नाव पर सवार होकर मुंबई तट पर उतरे थे और उन्होंने करीब बहत्तर घंटे तक तबाही मचाई थी। खुफिया एजेंसियों और तटरक्षक बल की इसके लिए पीठ थपथपाई जानी चाहिए कि उन्होंने जरूरी तालमेल के साथ पर्याप्त चौकसी भी दिखाई। इस तालमेल को बनाए रखने और उसे बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि इसके संकेत दूर-दूर तक नजर नहीं आते कि पाकिस्तान अपनी हरकतों के बाज आएगा।

इस घटना के बाद जिस तरीके से कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है वह किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। कम से कम विरोधियों को आंतरिक सुरक्षा के मामले में तो आम सहमति बनी रहने देनी चाहिए। अरब सागर में पाकिस्तानी नौका में विस्फोट के मामले में कुछ सवाल तो उठते हैं, लेकिन जैसे सवाल कांग्रेस पूछ रही है वे तो सर्वथा बेतुके और निराधार हैं। इस सवाल का कोई औचित्य नहीं बनता कि यदि उस पाकिस्तानी नौका में आतंकी सवार थे तो भारत सरकार बताए कि वे किस संगठन से जुड़े थे। यह समझ पाना भी मुश्किल है कि अखिर कांग्रेस को आतंकी संगठन का नाम जानने में इतनी दिलचस्पी क्यों है? यह अच्छा होता कि कांग्रेस ऐसे सवाल पूछने से बचती या फिर जांच पूरी होने तक शांत रहती। इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप की आड़ में पाकिस्तान अपने लोगों का हाथ होने से पल्ला झाड़ लेगा।

यदि सबूत इकट्ठा कर भारत पाकिस्तान को देगा भी तो यह जग जाहिर है कि वह उसे स्वीकार नहीं करेगा। आंतरिक सुरक्षा के मामले में आम सहमति न रहने से पाकिस्तान पर भारत के दबाव का कोई खास असर नहीं होने वाला।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे से पहले ऐसी हरकतें कर पाकिस्तान भारत को अशांत दिखाने की कोशिश कर रहा है। आतंकवाद के मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब से भारत को विश्व का सहयोग मिलने लगा है तब से पाकिस्तान को यह बात हजम नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका गए थे तब बराक ओबामा ने उनकी जम कर तारीफ की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में सहयोग का भी भरोसा दिलाया था। पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर आतंकवाद को पाल-पोस रहा है।

अमेरिका का ईनामी आतंकवादी और भारत का दुश्मन हाफिज सईद पाकिस्तान में खुले आम घूमकर भारत के खिलाफ जहर उगलता है। सईद की रैली में भीड़ जमा करने के लिए पाकिस्तान सरकार ट्रेन चलवाती है जिससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान सरकार की नीति और नीयत में कोई अंतर नहीं आया है। बावजूद इसके अमेरिका ने तिरेपन करोड़ डॉलर पाकिस्तान को देकर यह साफ कर दिया कि वह उन्हीं देशों पर कड़ा रुख अपनाएगा जो अमेरिका का बुरा चाहते हैं। चाहे जो भी हो, आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर खुद को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए भारत को अमेरिका से सबक लेना चाहिए। 9/11 के हमले के बाद जिस तरह अमेरिका का सुरक्षा परिदृश्य पूरी तरह बदल गया कुछ वैसे ही अमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता हमारे देश में भी है।

 

अवनिंद्र कुमार सिंह, दुर्गाकुंड, वाराणसी

 

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta

ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta