आजकल स्वाभाविक ही बरसात अपने पूरे रंग में है। इस मौसम में खूब बारिश होना अच्छी बात है। इससे जमीन में पानी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे पूरे साल भर के हमें आसानी से पानी मिलता है और फसलें भी बहुत अच्छी होती है। लेकिन ज्यादा बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं बहुत ज्यादा होती हैं। आजकल पूरे देश में बाढ़ और भूस्खलन से कोहराम मचा हुआ है। सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और हजारों परिवार इसका दंश झेल रहे हैं। लोगों की करोड़ों रुपए की संपत्ति बर्बाद हो चुकी है। राष्ट्रीय आपदा सुरक्षा दल और अन्य समाज सेवी संगठन दिन-रात लोगों को बचाने में लगे रहे और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है। अगर राष्ट्रीय आपदा सुरक्षा दल और दूसरे संगठन न हों तो न जाने कितना नुकसान होगा।

हाल ही में किन्नौर जिला के सांगला में बहुत बड़ा भूस्खलन हुआ, जिसने नौ पर्यटकों की जान ले ली और काफी लागत से बना लोहे का पुल भी टूट गया। हिमाचल में बादल फटने की घटनाएं भी बहुत अधिक होती हैं, जिससे हर वर्ष बहुत अधिक जान-माल की क्षति होती है। बादल फटने का एक कारण पर्यावरण में बढ़ता तापमान है। हमें बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने से बचने के उपायों के बारे में सोचना होगा। पिछले सौ वर्षों में पृथ्वी का तापमान 1.2 डिग्री बढ़ गया है। अगर यह ऐसे ही बढ़ता गया तो आने वाला समय और अधिक खतरनाक साबित होगा। वैसे भी मौसम चक्र बदल चुका है।आजकल थोड़े समय में अधिक वर्षा होती है, जिससे यह सब त्रासदी हो रही है।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र

तालिबान का सामना

अमेरिकी सैनिक अफगनिस्तान से पलायन करते-करते तालिबान के ठिकानों पर बमबारी कर रहे हैं। यही करना था तो फिर दोहा कतर में वार्ता के नाम पर समय क्यों बर्बाद किया गया? ऐसे हमले तो दो दशक के दौरान सैकड़ों मर्तबा कर चुके। उसका नतीजा क्या निकला? आज तालिबान का 85 फीसद भूभाग पर कब्जा हो चुका है। तालिबान अपना पाषाण युगीन फरमान फिर से जारी कर चुके हैं। इधर अफगान् सरकार चौंतीस में से इक्कीस जिलों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाती है। क्या इससे तालिबान का आवागमन रुक जाएगा? क्या इन आतंकी गुट की ताकत को कम किया जा सकेगा? सवाल है कि तालिबान को रसद एवं गोला-बारूद कहां से मिल रहा है। जब तक उन स्रोतों पर आक्रमण नहीं किया जाता, तब तक तालिबान के उत्साह में तनिक भी कमी नहीं आएगी।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>