महेंद्र सिंह धोनी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने से न केवल एक उत्कृष्ट कोटि के खिलाड़ी ने, बल्कि एक उत्कृष्ट कोटि के इंसान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कहा है। उनके अंदर कुछ ऐसे तत्त्व विद्यमान हैं जो किसी खेल में और व्यक्ति के जीवन के हर आयाम में उपयोगी साबित हो सकते हैं। उनके कई सद्गुणों में से एक मुझे उनके ‘अनासक्ति’ का गुण सबसे महत्त्वपूर्ण लगता है। अनासक्त व्यक्ति लाभ-हानि, जय-पराजय, सुख-दुख या किसी भी परिस्थिति में समान व्यवहार रखता है।

आजकल हर किसी ने खुद को किसी और से बांध लिया है। कोई अपने संबंधों से तो कोई अपनी नौकरी से, कोई अपने आलीशान मकान से तो कोई अपने परिवार से, कोई अपने पालतू कुत्ते से तो कोई अपने नए गाड़ी पर आसक्त है।

ये बंधन बस दुख के कारण हैं। यह कहा जा सकता है कि हमें कभी भी अपने नियंत्रण की चाभी किसी और को नहीं सौंपनी चाहिए। किसी व्यक्ति, वस्तु या भावना से इतना लगाव नहीं रखना चाहिए कि हमारे सुख-दुख का निर्णायक कोई और हो जाए।
’कुमार ऋषिराज, जहानाबाद, बिहार