नए नोट बाजार में लाने का फैसला बहुतों को अचंभे में डालने वाला है, लेकिन सरकार को काला समाप्त करने की दिशा में यह सख्त कदम उठाना ही था। जैसे पुरानी बीमारी का इलाज करने के लिए कड़वी दवाओं के घूंट पीने पड़ते हैं और इंजेक्शन की सुइयों का दर्द भी सहना पड़ता है, ऐसे ही हालात इस समय हैं। पुराने 500 और 1000 के नोटों का चलन एकदम बंद होने से आम जनता को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही नोट सबसे ज्यादा चलन में थे लिहाजा, इन्हीं नोटों का जमावड़ा लोगों के पास ज्यादा था। अपराधी तत्त्वों ने इसी परिस्थिति का फायदा उठाते हुए 500 और 1000 के नकली नोट बाजार में वितरित कर दिए और भारत की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई। देश में फैली काले धन की पुरानी बीमारी से निजात पाने के लिए देशवासियों को कष्ट सहते हुए भी सहयोग देना ही चाहिए।
’अरुणा कपूर, रोहिणी,
नई दिल्ली
चौपाल: बीमारी का इलाज
नए नोट बाजार में लाने का फैसला बहुतों को अचंभे में डालने वाला है, लेकिन सरकार को काला समाप्त करने की दिशा में यह सख्त कदम उठाना ही था।
Written by जनसत्ता

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First published on: 16-11-2016 at 01:19 IST