केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना देश के तमाम वंचितों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बनाई गई थी, लेकिन हमारे देश में तमाम अच्छी योजनाओं को पलीता लगाया जाता रहा है। एक समाचार के अनुसार वंचित और कमजोर लोगों की बजाय करोड़पतियों, सरकारी कर्मचारियों, कारोबारियों, यहां तक कि पूर्व राज्यसभा सांसद सहित कई विधायकों ने अपना नाम जुड़वा कर इस योजना का मजाक बना दिया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारी केंद्र व राज्य सरकारें गरीब और कमजोर लोगों के लिए योजनाएं बनाती हैं तो रसूखदार व सुविधा संपन्न लोग इनका लाभ उठाकर योजनाओं पर ग्रहण लगा देते हैं। सरकार को इस मामले में न केवल सख्ती से कदम उठाना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित भी करना चाहिए कि जिन लोगों के लिए योजना बनी है वही उससे लाभान्वित हों।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन

दस साल बाद: इन दिनों सोशल मीडिया पर ‘10 ईयर चैलेंज’ की धूम है। लोग अपनी दस वर्ष पुरानी फोटो की 2019 की फोटो से तुलना कर रहे हैं। दरअसल, हमें इस चैलेंज को नए रूप में देखना चाहिए। मसलन, हमारा पर्यावरण इन दस वर्षों में कितना घातक हो चुका है, जिसमें सांस लेने तक के लिए स्वच्छ हवा लगातार खत्म होती जा रही है! बीते दस बरसों में इलेक्ट्रॉनिक कचरा क्यों इतना अधिक बढ़ गया है कि उसे न तो नष्ट किया जा सकता है न दुबारा प्रयोग में लाया जा सकता है!

महिलाओं के खिलाफ अपराध भी इन दस वर्षों में काफी बढ़े हैं। किसानों की आत्महत्याएं, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते अपराध, मानव तस्करी आदि इन दस सालों में चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई हैं। यह सब सुधारा जाना चाहिए था लेकिन इस मोर्चे पर हमारे देश की हालत दिन-पर-दिन खराब होती जा रही है जो चिंता का विषय है। आज हम सबको प्रण लेना होगा कि आने वाले दस वर्षों में अपने पर्यावरण और देश-दुनिया को पहले से बेहतर बनाएंगे।
आशीष, राम लाल आनंद कॉलेज, दिल्ली</strong>

भविष्य की जरूरत: भारत के मोटर वाहन अनुसंधान संघ द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि पेट्रोल में मेथेनॉल के 15 फीसद इस्तेमाल से बीएस-4 वाहनों में कार्बन डाइआॅक्साइड उत्सर्जन को 30 फीसद तक कम किया जा सकता है। मेथेनॉल प्राकृतिक गैस व कोयले से बनाया जाता है। कचरे व कृषि उत्पाद से भी मेथनॉल प्राप्त कर सकते हैं और भारत में मेथेनॉल के लिए उपयुक्त परिस्थितियां हैं।

मेथेनॉल मिश्रित ईंधन के उपयोग से बहुआयामी लाभ हैं। आज भारत तकरीबन सात लाख करोड़ रुपए का कच्चा तेल खाड़ी देशों से आयात करता है। अगर हम मेथेनॉल को अपनाते हैं तो कच्चे तेल के आयात को 30 फीसद तक कम सकते हैं और विदेशी मुद्रा कोष में वृद्धि कर सकते हैं। मेथेनॉल र्इंधन पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। इसके उपयोग से प्रदूषण को कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि परिवहन मंत्रालय ने 2030 तक र्इंधन में मेथेनॉल की मात्रा 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही सरकार बिजली-बैटरी से चलने वाले वाहनों के उत्पादन पर जोर दे रही है जो भविष्य की जरूरत भी हैं।
योगेश मिश्रा, जयपुर</strong>

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