कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के आम चुनाव को सामने देख अपना सबसे बड़ा पासा फेंकते हुए एलान किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो सभी गरीबों को न्यूनतम आमदनी की गारंटी दी जाएगी। आजादी के बाद से लेकर आजतक किसी पार्टी ने ऐसा वादा नहीं किया था। इस वादे का जमीनी स्तर पर लागू होना आसान नहीं है क्योंकि सबसे बड़ा सवाल है कि इतना पैसा आएगा कहां से? दरअसल, सत्ता से वंचित कांग्रेस अध्यक्ष किसी भी तरह सत्ता सुख वापस पाना चाहते हैं। इसलिए जनता के वोट पाने के लिए वे ऐसे वादे कर रहे हैं जो हकीकत में चाहे पूरे न हों, पर उनकी सरकार बनवा दें! अच्छी बात यह है कि अब सभी पार्टियां इस तरह के लोकलुभावन वादे लेकर आएंगी!
बृजेश श्रीवास्तव, गाजियाबाद

सबका साथ: कश्मीर घाटी में असर रखने वाले जिन राजनीतिक दलों को वहां का माहौल बदलने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, वे ऐसा करने से बच रहे हैं। ये दल सत्ता में रहते समय अलग भाषा बोलते हैं और विपक्ष में रहते समय अलग। यह एक सच्चाई है कि भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने और चलाने वाली पीडीपी की मुखिया इन दिनों मारे गए आतंकियों के परिवारों की मातमपुर्सी करने में लगी हुई हैं। स्पष्ट है कि राजनीतिक दलों का ऐसा रवैया भारत सरकार की माहौल बदलने वाली पहल को आगे नहीं बढ़ने दे रहा है। सुरक्षा बल राज्य और केंद्र सरकार की माहौल एवं मानसिकता बदलने वाली पहल का हिस्सा अवश्य हो सकते हैं, लेकिन वे यह काम केवल अपने बलबूते नहीं कर सकते। यह अच्छा है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद बंदूक में नहीं, दिमाग में है, लेकिन सच को बयान करना भर पर्याप्त नहीं। अब जब आतंकियों को मुख्यधारा में लाने और उनके पुनर्वास पर विचार हो रहा है, तब ध्यान रखा जाए कि इस काम में राजनीतिक दलों सहित सबका सहयोग जरूरी है।
हेमंत कुमार, ग्राम/पोस्ट-गोराडीह, भागलपुर

महिला बेरोजगारी: महिला सशक्तीकरण की नींव उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर ही रखी जा सकती है। लेकिन विडंबना है कि भारत में महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर होती चली जा रही हैं। हाल ही में आई सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉनी (सीएमआइई) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल बेरोजगार हुए लोगों में अट्ठासी लाख महिलाएं हैं। इनमें से पैंसठ लाख महिलाएं ग्रामीण और तेईस लाख शहरी क्षेत्रों में बेरोजगार हुई हैं। इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के बेरोजगार होने से महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों को जबदस्त धक्का लगा है। आर्थिक स्वतंत्रता ही महिलाओं को वास्तविक सशक्तीकरण प्रदान कर सकती है इसलिए सरकार को महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के बाबत प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
विशेक, दिल्ली विश्वविद्यालय

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