हाल में दिल्ली के द्वारका इलाके में यह झूठी अफवाह फैला दी गई कि ‘किसी बच्चे को अफ्रीकियों ने अगवाकर उसे मार कर खाया है’। सोशल मिडिया पर यह अफवाह तेजी से फैली और इसी शक में इलाके में रह रहे अफ्रीकी मूल के लोगों पर भीड़ ने हमला कर दिया। जबकि सच्चाई यह है कि वहां किसी का भी बच्चा गायब होने की कोई रिपोर्ट नहीं है। असल में सुनियोजित रूप से इस तरह की अफवाहें फैला कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि समाज को कितना भ्रमित कर मूर्ख बनाया जा सकता है और बरगलाया जा सकता है। पिछले दिनों कई बार अफवाहें फैला कर किसी को बच्चाचोर घोषित कर, किसी को डायन घोषित कर, किसी को गोकशी के लिए गाय ले जाने का झूठा आरोप लगा कर, किसी को गोमांस खाने का झूठा आरोप लगा कर एक सुनियोजित हिंसक भीड़ द्वारा उस व्यक्ति की हत्या तक कर देने की घटनाएं सामने आर्इं। जबकि ऐसी घटनाओं की बाद में गहराई से जांच की गई तो पता लगा कि ये सभी झूठी थीं। लेकिन दुखद यह है कि अफवाहों से कई निर्दोष लोग भीड़ के शिकार हो गए।
हाल में द्वारका में अफ्रीकी मूल के लोगों के साथ घटी इस घृणित घटना से विदेशों में हमारी साख पर निश्चित रूप से बट्टा लगेगा। हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि इसी तरह की घटना विदेशों में बसे या पढ़ने वाले भारतीयों के साथ होती है तो पूरे देश में हाहाकार मच जाता है और उस देश के प्रति हमारे हृदय में कैसा क्रोध और नफरत पैदा हो जाती है। हम जब इस तरह की शर्मनाक घटना विदेशी लोगों के साथ करते हैं तो निश्चित तौर पर उन विदेश्यिों के मन में भी हमारे देश के बारे में घृणा पैदा होगी। भारतीय समाज को समदर्शी और सहिष्णु बनाने के लिए इस प्रकार की अमानवीय ,घृणित और शर्मनाक घटनाओं पर रोक लगनी ही चाहिए।
निर्मल कुमार शर्मा , गाजियाबाद।
जहरीला होता पानी: मनुष्य जीवन के लिए जल कितना महत्त्वपूर्ण है, यह हम सभी अच्छे से जानते हैं। फिर भी मनुष्य द्वारा जल को प्रदूषित करने में कोई कमी नहीं रही है। इस वजह से जल प्रदूषण सभी प्रदूषणों में सबसे अधिक हानिकारक हो गया है। यह प्रदूषण पानी में फैली अशुद्धियां हैं जो कई कारणों से पानी में आ जाती हैं। अमूमन पानी में यह गंदगी और जहरीलापन पानी में पूजा की सामग्री प्रवाहित करने से, उद्योगों से निकलने वाले रसायनों के प्रवाह से उत्पन्न होता है। इसके अलावा गांवों में तालाबों और अन्य जल स्रोतों में मवेशियों को नहलाने से, कपड़े धोने और स्नान करने से भी पानी में गंदगी फैलती हैं। ऐसा जल प्रदूषण हमेशा नदियों, तालाबों, नहरों, या किसी भी खुले पानी में देखा जा सकता है। जमीनी पानी में प्रदूषण ना के बराबर होता है।
भारतीय धार्मिक रीति-रिवाजों में कई ऐसे पर्व आते हैं जिनमें मूर्तियों की पूजा की जाती है। परंतु लोगों को यह समझ नहीं आता कि इससे न सिर्फ उन्हीं के पानी में गंदगी फैलती है, बल्कि इस प्रदूषण से पानी की मछलियां भी मर जाती है और दूसरे जल-जीवों को भी नुकसान पहुंचता है। प्रदूषित पानी के सेवन से मनुष्य के शरीर में कई जानलेवा बीमारियां जन्म लेती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीना इतना जहरीला हो गया है कि अस्पतालों में दी जा रही दवाइयों तक का असर बंद हो गया है और कई मरीजों की मृत्यु तक हो चुकी है। दिल्ली में जो पेयजल आता है उसमें ईकोलाई, क्लबजेला, स्टेप्टोकॉकस एवं कोलीफार्म जैसे कई ऐसे बैक्टीरिया पानी में पाए गए जिससे शरीर में डायरिया, हैजा, निमोनिया आदि कई रोगों का जन्म होता है।
अभिनव जैन, दिल्ली विवि
बस्ते का बोझ: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को गृह कार्य के बोझ से मुक्त रखने का आदेश न केवल प्रशंसनीय है, अपितु यह कदम भारतीय शिक्षा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है, बशर्ते इस पर सही तरीके से अमल हो जाए। विभिन्न शिक्षा बोर्डों के उलझे जाल को सुलझाना और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रख कर फैसले करना सरकार की महती जिम्मेदारी है।
मद्रास उच्च न्यायालय में निजी स्कूलों द्वारा दायर याचिका के खारिज होने की पृष्ठभूमि में सरकार का यह फैसला विद्यालयों द्वारा मासूम बच्चों, उनके अभिभावकों पर पड़ रहे अनावश्यक दबाव को दूर कर देगा। साथ ही साथ प्रत्येक कक्षा हेतु बस्ते के बोझ का निर्धारण निजी विद्यालयों की उन व्यावसायिक प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने की कोशिश है जो पुस्तकों के नाम पर कमाई का जरिया बनी हुई थीं। सरकार का यह कदम सर्वथा उचित और समय सापेक्ष है।
चंद्रमौलि त्रिपाठी, दिल्ली
बाघ का जीवन: बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। वर्तमान में इनकी आबादी में अत्यधिक गिरावट हुई है। बाघ की आठ प्रजातियां पाई जाती थीं, जिसमें से तीन पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुकी हैं। भारत सरकार ने बाघ को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व बनाए, लेकिन उसके अपेक्षित नतीजे हासिल नहीं हुए। बाघों की आबादी घटने के जो दो सबसे बड़े कारण हैं, वे जंगलों की कटाई और बाघों का शिकार हैं। जंगल कटने के कारण बाघों के निवास स्थल खत्म होते जा रहे हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकार इन दुर्लभ प्रजातियों पर मंडराते खतरे को खत्म करने के लिए वनों की ओर ध्यान दे। इसमें लोगों को भी अपनी पूर्ण जिम्मेदारी निभानी चाहिए और किसी भी तरह से प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
मनीषा चौरसिया, डीएसजे, दिल्ली विवि
वोट बैंक की राजनीति: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 24 नवंबर को अयोध्या में सरयू नदी के किनारे प्रस्तावित भगवान राम की प्रतिमा बनाने की बात कही है। यह प्रतिमा 151 मीटर ऊंची होगी और 150 के पेडेस्टल व 20 मीटर ऊंचे छत्र के बाद प्रतिमा की अनुमानित ऊंचाई 221 मीटर हो जाएगी। यह प्रतिमा दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बताई जा रही है। वर्तमान समय में सरदार पटेल की 182 मीटर प्रतिमा सबसे ऊंची है। सवाल यह है कि एक तरफ विकास को बढ़ावा देने की बात की जाती है और दूसरी तरफ चुनाव आने से पहले ही जनता को गुमराह करने की कोशिशें जारी हैं। आज भी हमारे देश में बड़ी संख्या में लोगों को भूखा सोना पड़ता है। बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चे बेहतर शिक्षा से वंचित हैं। बेरोजगारों की तादाद बढञती जा रही है। लेकिन इन गंभीर समस्याओं को नजरदांज कर प्रतिमाओं पर चर्चा की जा रही है।
हेमा जोशी, दिल्ली विवि
किसी भी मुद्दे या लेख पर अपनी राय हमें भेजें। हमारा पता है : ए-8, सेक्टर-7, नोएडा 201301, जिला : गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश
आप चाहें तो अपनी बात ईमेल के जरिए भी हम तक पहुंचा सकते हैं। आइडी है : chaupal.jansatta@expressindia.com