आज पूरी दुनिया बेरोजगारी के संकट से जूझ रही है। भारत जहां एक ओर संसाधनों की कमी से जूझ रहा है तो दूसरी ओर सरकार की गलत नीतियों ने बेरोजगारी में इजाफा किाया है। देश की आबादी सवा अरब पार कर चुकी है। इस समय चार करोड़ लोग रोजगार की तलाश में हैं। देश में हर साल एक करोड़ सत्तर लाख के करीब नए लोग रोजगार की तलाश में आ रहे हैं। जब नौकरियां ही नहीं हैं तो आरक्षण का क्या लाभ? भारत में पूंजी आधारित अर्थव्यवस्था के वर्चस्व ने मानव श्रम को भारी नुकसान पहुंचाया है। आज तकनीक और मशीन ने मानव श्रम की जगह ले ली है। इसके मद्देनजर सरकार को रोजगार बढ़ाने के लिए दूरगामी स्थायी नीति बनानी होगी।
चांद मोहम्मद, दिल्ली विश्वविद्यालय

समझ से परे: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल उठाना समझ से परे है। ऐसा करने वालों में चुनाव हारने या मन मुताबिक परिणाम न आने से खफा लगभग सभी प्रमुख पार्टियां शामिल रही हैं। 2009 में भाजपा ने ईवीएम की वैधता पर सवाल खड़े किए थे क्योंकि तब उसे चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2014 में सत्ता गंवाने पर कांग्रेस ने भी इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाया था और अब भी जहां-जहां विपक्षी पार्टियां सत्ता में नहीं हैं वहां सत्तापक्ष पर ईवीएम को ही अपना चुनावी हथियार बना देने का आरोप लगा रही हैं।
चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम पर सवाल करने वालों को उसे ‘हैक’ करके दिखाने की खुली चुनौती दी गई थी, लेकिन तब किसी भी दल ने यह चुनौती स्वीकार नहीं की थी। इसके बावजूद सभी, विशेषकर चुनावों में पराजित होने वाले राजनीतिक दलों का मानना है कि ईवीएम एक मशीन है लिहाजा इससे छेड़छाड़ संभव है। विदेश में ऐसी बयानबाजी करने वाले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्गज कांग्रेस नेता का शामिल होना संदेह पैदा करता है।
पदमा राम आंजणा, गुड़ामालानी, बाड़मेर

बिन पानी: भारत में जनता के लिए दूषित जल एक अभिशाप बनता जा रहा है। देश के 17 राज्यों के 335 जिले ऐसे हैं जहां पीने के लिए सिर्फ दूषित जल है। दूषित जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है जो किसी भी जीव के लिए घातक साबित हो सकता है। दूषित जल पीने वाले लोगों के शरीर में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने से वे अपंग तक हो जाते हैं, उनके दांत टूटने या पीले पड़ने लगते हैं। गर्भवती महिलाओं की संतान कुपोषित पैदा होती है और उसे कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ता है। संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत देश के सभी नागरिकों को शुद्ध जल ग्रहण करने का अधिकार है पर शुद्ध जल है ही नहीं। जिस देश में लोगों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं वह विकास के दावे कैसे कर सकता है?
मौ वाजिद अली, आंबेडकर कॉलेज, दिल्ली</strong>

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