साइबर खतरों के खिलाफ बने अंतरराष्ट्रीय गठबंधन से जुड़े नेताओं ने भारत और अमेरिका से साथ आने की अपील की है। स्विट्जरलैंड में आयोजित इस गठबंधन की सालाना बैठक में नेताओं और विशेषज्ञों ने इस बात का समर्थन भी किया है कि दुनिया को साइबर खतरों से बचाने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा की सख्त जरूरत है। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को विश्व के दूसरे महान लोकतांत्रिक देश के साथ खड़ा होने की आवश्यकता है। देखा जाए तो स्विट्जरलैंड के सम्मेलन में दिया गया यह न्योता भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। एक बड़े मंच की तरफ से अमेरिका सहित भारत को बुलावा इस बात का संकेत है कि दुनिया जानती है कि भविष्य की लड़ाई बिना भारत के लड़ना आसान नहीं है। साइबरस्पेस में भरोसे और सुरक्षा के लिए काम करने के संबंध में 12 नवंबर 2018 को पेरिस काल नामक समझौते पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं लेकिन इसके बाद साइबर खतरों के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की अपील कई मायनों में खास है।

दुनिया अच्छी तरह जान चुकी है कि सूचना प्रौद्योगिकी में भारतीय पेशेवरों का कोई मुकाबला नहीं है। यही वजह है कि कई देशों के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीयों की भरमार है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, जर्मनी जैसे देश इसके उदाहरण हैं। भारत में भी सूचना प्रौद्योगिकी में लोग दिन प्रतिदिन नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा जैसे ज्वलंत और गंभीर मुद्दे की लड़ाई में यदि भारत शामिल होता है तो यह उसके अपने हित में भी है। वजह यह कि अपना देश साइबर सुरक्षा की बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। इसमें दो राय नहीं कि हमारे देश में साइबर अपराध अधिक हो रहे हैं। चीनी और पाकिस्तानी हैकर्स के हमले थमते नजर नहीं आ रहे हैं। इस गठबंधन में शामिल होने के बाद भारत ऐसे साइबर हमलों के पीछे पाकिस्तान और चीन की भूमिका को उजागर कर सकता है और साथ ही दुनियाभर के विशेषज्ञों के साथ मिलकर अपने देश के लिए एक मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र विकसित कर सकता है। यदि भारत साइबर सुरक्षा क्षेत्र में महारत हासिल कर ले तो दुनिया के अन्य देशों के लिए वह नेतृत्व की भूमिका में होगा और ऐसा होना भारत के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।
अमन सिंह, प्रेमनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश</strong>

गांधी के साथ: महात्मा गांधी के पुतले पर गोली चलाने की घटना स्तब्ध करने वाली है। आजादी के मात्र सत्तर सालों में हम गांधी से इतनी नफरत करने लगे कि उनके पुतले पर गोलियां चलाएं और उसका वीडियो बना कर प्रसारित कर दें! यह निश्चित ही देश के लिए एक स्याह दिन है। अपने को साध्वी कहने और हिंदू होने का दंभ भरने वाली महिला ने एक ऐसे इंसान का अपमान किया है जिसे आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले सैकड़ों नायकों ने भी अपना नायक माना और उनके कदम से कदम मिला कर भारत को आजादी दिलाई। विभिन्न नेताओं के साथ उस कथित साध्वी की तस्वीर यह बताती है कि ऐसे लोगों का सत्ता संरक्षण प्राप्त है। लेकिन एक बात जान लें कि न तो मूर्तियां लगाने से गोडसे जिंदा होगा और न पुतले पर गोली चलाने से गांधी मरेंगे।
अशोक कुमार, तेघड़ा, बेगूसराय

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