सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी असल में किसी रहस्य से कम नहीं है। इसके तहत देश में वस्तुओं के उत्पादन की गणना की जाती है पर देशवासियों की आय को नहीं मापा जाता। विश्व की प्रमुख सलाहकार संस्थाओं में शामिल प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स के मतानुसार भारत ब्रिटेन को पछाड़ कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और इसका कारण है भारत का जीडीपी में प्रतिदिन वृद्धि करना। दरअसल, अर्थव्यवस्था को बड़ा बनाने वाला एक पहलू जनसंख्या भी है। ब्रिटेन की जनसंख्या लगभग सात करोड़ है और भारत की तकरीबन 136 करोड़। जहां ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 40000 डॉलर है, वहीं भारत की 2000 डॉलर है। भारत की आय ब्रिटेन के बीसवें हिस्से के बराबर है, पर भारत की जनसंख्या अधिक होने के कारण जीडीपी बढ़ जाता है। यह तो वही हिसाब हुआ कि हजारों छोटी मछलियां मिलकर व्हेल से कहें, हम तुमसे बड़े हो गए हैं!
इसलिए मौटे तौर पर कह सकते हैं कि हमारे देश की गरीब और बढ़ती जनसंख्या ही विश्व स्तर पर देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ा रही है। लेकिन बाहर से दिखती इस मजबूत अर्थव्यवस्था को चलाने वाले लोग खुद अपनी दशा जानते हैं, जब पूरे दिन कड़ी मेहनत के बाद भी वे चंद पैसे ही अपनी जेब में डाल कर घर ला पाते हैं। हमारे जीवन स्तर का सही मापदंड आय है, न कि जीडीपी। इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि हम आगे बढ़ते हुए भी अभी बहुत पीछे हैं।
एकता, आंबेडकर कॉलेज, दिल्ली</strong>
समय पर सवाल: केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में कर मुक्त आय सीमा को ढाई लाख से बढ़ा कर पांच लाख कर दिया है। यह मध्य वर्ग को राहत देने के लिए बहुप्रतीक्षित व अच्छा कदम है, लेकिन चुनावी वर्ष ही में इसकी सीमा दुगनी करने से इसे सरकार द्वारा वोट बटोरने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बेहतर होता पिछले बजटों में भी इसे किश्तवार बढ़ा दिया होता।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में मूर्ति घोटाले को इस चुनावी साल में उजागर करने के पीछे सरकार की अच्छी नीयत को भी संदेह ही दृष्टि से देखा जा रहा है। राजग ने निश्चित रूप से घोटाले रहित सरकार चलाई, भाजपानीत राज्यों ने दंगा रहित प्रादेशिक सरकारें दीं, भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसी, राष्ट्रीय स्तर पर विकास दर को गति प्रदान की, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सरकार ने अच्छा कार्य किया, लेकिन अपने अच्छे कार्यों का टाइम मैजेजमेंट करने में अदूरदर्शी रही है। फिर भी कहा जा सकता है कि यह सरकार पिछली सरकारों से कहीं बेहतर साबित हुई है।
सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी, नई दिल्ली
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